बिहार में आपराधिक प्रवृत्ति के सांसदों की संख्या में आई है तेजी, जानिए

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिर्फोम्स के राजीव कुमार ने खुलासा किया है कि बिहार में आपराधिक प्रवृत्ति के सांसदों की संख्या में 2004 की तुलना में 2014 में 87 फीसद वृद्धि हुई है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 11:15 AM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 10:05 PM (IST)
बिहार में आपराधिक प्रवृत्ति के सांसदों की संख्या में आई है तेजी, जानिए
बिहार में आपराधिक प्रवृत्ति के सांसदों की संख्या में आई है तेजी, जानिए

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में आपराधिक प्रवृत्ति के सांसदों की संख्या में 2004 की तुलना में 2014 में 87 फीसद वृद्धि हुई है। एएन सिन्हा सभागार में रविवार को यह खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिर्फोम्स (एडीआर) के राजीव कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में किया। राजीव ने इस मौके पर एडीआर और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट सार्वजनिक की। 

2004 से 2014 तक की सांसदों और विधायकों की रिपोर्ट साझा करते हुए उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में 2004 से 2014 तक बिहार में आपराधिक मामले घोषित करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में 122 फीसद की वृद्धि हुई है, जबकि आपराधिक मामले घोषित करने वाले सांसदों की संख्या 87 फीसद बढ़ी है।

2014 में जीते पार्टी वार आपराधिक सांसदों में राजद के चारों, एनसीपी और कांग्रेस के  सौ फीसद सांसद आपराधिक मामले और गंभीर आपराधिक मामले में फंसे हैं। जबकि भाजपा के 64 फीसद, लोजपा के 67 फीसद और रालोसपा के 67 सांसद आपराधिक मामले में लिप्त हैं।

उधर, 2005 की तुलना में 2015 में आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायक चुनाव के उम्मीदवारों की संख्या में 96 फीसद की वृद्धि हुई है जबकि विधायकों की संख्या में 43 फीसद का इजाफा हुआ है। वहीं गंभीर आपराधिक मामले घोषित करने वाले विधायकों की संख्या में 63 फीसद की वृद्धि हुई है।

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