आआइटी मुंबई ने दिया प्रशिक्षण, वैशाली में मेडिकेटेड मास्क बनाएंगी जीविका दीदियां

वैशाली जिले के लालगंज प्रखंड की जीविका दीदियां आइआइटी मुंबई से प्रशिक्षण लेकर मेडिकेटेड मास्क बनाने में जुट गई हैं। मास्‍क की खासियत यह है कि संपर्क में आते ही वायरस मर जाएगा।

By Sumita JaswalEdited By: Publish:Sun, 30 Aug 2020 07:13 PM (IST) Updated:Sun, 30 Aug 2020 10:03 PM (IST)
आआइटी मुंबई ने दिया प्रशिक्षण, वैशाली में  मेडिकेटेड मास्क बनाएंगी जीविका दीदियां
आआइटी मुंबई ने दिया प्रशिक्षण, वैशाली में मेडिकेटेड मास्क बनाएंगी जीविका दीदियां

पटना, शैलेश कुमार । वैशाली जिले के लालगंज प्रखंड की जीविका दीदियां आइआइटी, मुंबई से  प्रशिक्षण लेकर मेडिकेटेड मास्क बनाने में जुट गई हैं। मास्क की खासियत है कि इसके संपर्क में आते ही वायरस मर जाएगा। मास्क पूर्ण रूप से मेडिकेटेड घोल से कोटेड होगा। मास्क निर्माण कार्य का पीसीआइ ( प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल) सुपरविजन करेगी। पीसीआइ, वैशाली के प्रोडक्शन सेंटर सुपरवाइजर मानव कुमार ने बताया कि आइआइटी, मुंबई के सहयोग से लालगंज की जीवन ज्योति स्वयं सिद्धा महिला विकास स्वाबलंबी सहकारी समिति एंटी वायरस मास्क बना रही है।  

20 जीविका दीदियों को मिला प्रशिक्षण

मास्क बनाने के लिए जीविका की 20 दीदियों को 27-28 को अगस्‍त को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। आइआइटी, मुंबई के डॉ. कपिल पंजाबी और प्रोफेसर ङ्क्षरकी बनर्जी ने प्रशिक्षण दिया। मास्क बनाने और उस पर केमिकल चढ़ाने की विधि बताई गई। मास्क टू लेयर थ्री प्लेट का है। इसे रसायन से एंटी वायरस बनाया जा रहा है। मास्क को मेडिकेटेड बनाने के लिए जिन रसायनों का प्रयोग किया गया है वे येलो श्रेणी में आते हैं। यानी इनका कोई हानिकारक प्रभाव स्किन पर नहीं पड़ेगा।

ऐसे हो रहा है निर्माण

मास्क पर रसायन की परत चढ़ाने के लिए घोल बनाने में साइट्रिक एसिड, ओलिक एसिड, सोडियम, पोटाश जैसे केमिकल का इस्तेमाल किया गया है। इस तरह के रसायनों से दो घोल तैयार होते हैं। एक बार बने घोल को तीन बार इस्तेमाल किया जा सकेगा, जिससे 1500 मास्क तैयार किए जा सकते हैं। पहले घोल में मास्क को डुबोकर आधा घंटा रखा जाता है। यह घोल थोड़ा गर्म होता है। दूसरे ठंडे घोल में भी मास्क को आनुपातिक समय तक डुबोकर रखा जाता है। इसके बाद मास्क को सूखने दिया जाता है।

22 बार कर सकते इस्तेमाल

मास्क का इस्तेमाल 22 बार तक किया जा सकता है। सूती कपड़े से बने होने के कारण यह मजबूत है। हालांकि, अभी कीमत निर्धारित नहीं की गई है, पर यह 35 रुपये तक उपलब्ध होने की संभावना है। इस तरह के मेडिकेटेड मास्क अभी बिहार में मात्र दो जगह लालगंज और बिहटा में बनाए जाएंगे। उद्देश्य कम कीमत में असरदार मास्क लोगों तक पहुंचाना है।

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