ऐतिहासिक पहल: बिहार में 80 लाख स्‍कूली बच्चों ने ली शपथ, एक स्‍वर में कहा- नहीं जलाएंगे पुआल

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे से देश-दुनिया की हिफाजत को अब बच्चे भी आगे आ गए। जरिया बने हैं बिहार के हजारों स्कूल। 80 लाख बच्‍चों ने एक साथ पुआल (पराली) नहीं जलाने की शपथ ली।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Fri, 29 Nov 2019 09:00 PM (IST) Updated:Sat, 30 Nov 2019 09:50 AM (IST)
ऐतिहासिक पहल: बिहार में 80 लाख स्‍कूली बच्चों ने ली शपथ, एक स्‍वर में कहा- नहीं जलाएंगे पुआल
ऐतिहासिक पहल: बिहार में 80 लाख स्‍कूली बच्चों ने ली शपथ, एक स्‍वर में कहा- नहीं जलाएंगे पुआल

पटना, राज्य ब्यूरो। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे से देश-दुनिया की हिफाजत के लिए अब बच्चे भी आगे आ गए हैं। जरिया बने हैं बिहार के हजारों स्कूल, जहां के 80 लाख से भी अधिक विद्यार्थियों ने शुक्रवार को संकल्प लिया है कि वे अपने परिजनों और परिचितों को खेतों में पुआल (पराली) नहीं जलाने देने के लिए प्रेरित-प्रोत्साहित करेंगे। देश में ऐसी पहल किसी राज्य में पहली बार हुई है। 

बच्‍चों को दी गई जानकारी

कृषि विभाग के सहयोग से राज्य के सभी सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में शुक्रवार सुबह की प्रार्थना के बाद बच्चों ने सामूहिक रूप से खेतों में फसल अवशेष को नहीं जलाने देने की शपथ ली। बाद में स्कूलों में विशेष सत्र आयोजित करके बच्चों को पराली जलाने के नुकसान के बारे में बताया गया। चार पन्ने की रंगीन बुकलेट भी बच्चों के बीच बांटे गए। कार्यक्रम में पंचायत से लेकर प्रमंडल तक में कृषि विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने शिरकत की। शिक्षा विभाग के साथ समन्वय किया। कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कार्यक्रम की कामयाबी के लिए पहले ही संबंधित विभागों से अनुरोध किया था। शपथ कार्यक्रम का मुख्यालय स्तर पर मानीटङ्क्षरग भी की जाती रही। 

तो दोषियों को किया जाएगा दंडित

पुआल जलाने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक तो किया ही जा रहा है, कृषि यंत्रों पर अनुदान भी 80 फीसद तक कर दिया गया है। बुआई से कटाई और डंठल बांधने तक के यंत्रों की खरीदारी पर अनुदान दिया जा रहा है। फिर भी अगर रोक नहीं लगती है तो दोषियों को दंडित भी किया जा रहा है। 

प्रतिदिन मांगी जा रही रिपोर्ट

वातावरण को शुद्ध करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सभी जिलों के डीएम को आगाह कर दिया गया है कि किसी भी तरह इस प्रवृति को रोकना है। प्रतिदिन रिपोर्ट भेजकर बताएं कि कहां-कहां खेतों में पुआल जलाया गया। साथ ही, किसानों को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर क्या किया गया। 

कहते हैं मंत्री

फसल अवशेष को कमाई का जरिया बनाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि खेतों में पराली जलाने से किसानों को रोका जा सके। यह खतरनाक प्रवृत्ति है। इससे मिïट्टी की उर्वरता खत्म हो जाती है। तापमान बढ़ जाता है। जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। नाइट्रोजन की कमी हो जाती है। जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 

- डॉ. प्रेम कुमार, कृषि मंत्री, बिहार सरकार 

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