ताड़ी के बारे में क्या कहा पटना हाइकोर्ट ने, आप भी जानिए.....

बिहार में शराबबंदी के बीच ताड़ी की बिक्री व इस्तेमाल को लेकर एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने कोई आदेश देने से साफ इन्कार कर दिया।

By Pramod PandeyEdited By: Publish:Thu, 30 Jun 2016 04:54 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jun 2016 05:06 PM (IST)
ताड़ी के बारे में क्या कहा पटना हाइकोर्ट ने, आप भी जानिए.....

पटना [वेब डेस्क ]। राज्य में ताड़ी पीने व बिक्री को लेकर दायर लोकहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने किसी प्रकार का आदेश देने से साफ मना कर दिया। अदालत का कहना था कि यदि किसी भी व्यक्ति पर नए उत्पाद कानून के तहत कार्रवाई की जाती है तो वह कोर्ट में केस दायर करने के लिए स्वतंत्र है।

हालांकि कोर्ट ने कहा कि 1 अप्रैल 1991 को राज्यपाल की ओर से जारी अधिसूचना अब भी राज्य में लागू है, जिसके तहत अधिकारी कार्रवाई करें। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी तथा न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने ताड़ी व्यवसायी संघ की लोकहित याचिका पर सुनवाई की।

आवेदक के वकील दीनू कुमार का कहना था कि ताड़ी व्यवसाय करने वाले एक खास जाति की संख्या 40 लाख के आसपास है। नए उत्पाद कानून लागू होने के बाद पुलिस ताड़ी का कारोबार करने वालों पर कार्रवाई कर रही है। अबतक करीब एक सौ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। पेड़ से ताड़ी उतारकर ले जाने पर भी पुलिस पकड़ रही है।

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वहीं सरकार का पक्ष रखते हुए प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि अपंजीकृत एसोसिएशन ने केस दायर किया है। अपने पेड़ से ताड़ी उतारने पर मनाही नहीं है। ताड़ी मादक पदार्थ की परिभाषा में आता है। नए उत्पाद कानून लागू होने के बाद किसी को भी प्रतिबंधित क्षेत्रों में नशा के तौर पर ताड़ी बेचने एवं पीने पर मनाही है। शराब पर रोक लगाने के बाद ताड़ी को नशा के रूप में सेवन किया जाने लगा था। विभाग के प्रधान सचिव ने 5 अप्रैल को अधिसूचना जारी की थी।

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ये हैं प्रतिबंधित स्थान

ताड़ी की दुकान किसी हाट बाजार के स्थान पर नहीं हो। किसी हाट बाजार में प्रवेश स्थल पर नहीं हो। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में किसी स्नानागार, शैक्षिक संस्थान, अस्पताल, धार्मिक स्थान, फैक्ट्री, पेट्रोल पंप, रेलवे स्टेशन, रेलवे यार्ड, बस स्टेशन, अनुसूचित जाति अथवा मजदूर कॉलोनी, राष्ट्रीय राजमार्ग, स्टेट हाईवे, जनता द्वारा उपयोग किए जाने वाले स्थानों से 50 मीटर की दूरी में और ग्रामीण क्षेत्रों में इन्हीं स्थानों से 100 मीटर की दूरी में, किसी गांव में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में इन सभी स्थानों पर ताड़ी की दुकान खोलने पर वर्ष 1991 से ही रोक लगी हुई है, जो आगे भी लागू रहेगी। सैनिक छावनी की परिसीमाओं में ताड़ी की दुकान नहीं रहेगी पर कमांडिंग ऑफिसर की अनुमति से ताड़ी की बिक्री की जाएगी।

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