58 दिनों तक सलाखों के पीछे रहा बेगुनाह, दबाव बढ़ा तो बना दिया डकैत

ये दर्दनाक कहानी उस परिवार की है, जिस पर बिहार पुलिस ने जमकर कहर बरपाया। एक दो दिन नहीं पूरे 58 दिनों तक सलाखों के पीछे रखकर जुल्म ढाए। पुलिस की वजह से एक सीधे-साधे व्यक्ति को पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने भी मुजरिम मान लिया। हर जगह से निराश होने

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 02 Apr 2015 11:00 AM (IST) Updated:Thu, 02 Apr 2015 01:54 PM (IST)
58 दिनों तक सलाखों के पीछे रहा बेगुनाह, दबाव बढ़ा तो बना दिया डकैत

पटना। ये दर्दनाक कहानी उस परिवार की है, जिस पर बिहार पुलिस ने जमकर कहर बरपाया। एक दो दिन नहीं पूरे 58 दिनों तक सलाखों के पीछे रखकर जुल्म ढाए। पुलिस की वजह से एक सीधे-साधे व्यक्ति को पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने भी मुजरिम मान लिया। हर जगह से निराश होने के बाद पीडि़त के परिजनों ने बिहार मानवाधिकार से न्याय की गुहार लगाई तो बेरहम पुलिस ने डकैती के झूठे मुकदमें में फंसाकर जेल भेज दिया।

यह मामला पूर्णिया का है, जहां जमीन के एक टुकड़े को लेकर मो. मोबिन अख्तर का अपने पड़ोसी से विवाद चल रहा था।

मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में पूर्णिया के एसपी एके सत्यार्थी को तलब कर पीडि़त पक्ष को 30 हजार रुपये का मुआवजा देने और मुआवजे की इस राशि का समायोजन दोषी पुलिस पदाधिकारी (एसएचओ शेखर प्रसाद) की जेब से करने का फरमान सुनाया है। यह मामला वर्ष 2014 का है।

दरअसल, पूर्णिया की रहने वाली रिजवाना परवीन ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पति का जमीन विवाद के एक मामले में अपने पड़ोसी से विवाद चल रहा था। इस मामले में उसके पति की गिरफ्तारी का वारंट भी कोर्ट से निर्गत किया गया था, जिसे कोर्ट ने ही अपने एक आदेश में वापस ले लिया था। कोर्ट के वारंट वापस लेने के बावजूद उसके पति को पूर्णिया पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

बाद में जब पुलिस अधिकारी को कोर्ट के आदेश की प्रति सौंपी गई तो उसके पति को किशनगंज में हुई एक डकैती के मामले में गिरफ्तार किए गए अपराधियों के बयान के आधार पर जेल में रखा गया, जबकि उसके पति का कहीं भी कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है।

इस मामले में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व ओडिशा हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बिलाल नजकी ने पूर्णिया के एसपी को तबल किया। एसपी ने आयोग को बताया कि उन्होंने दोषी पुलिस अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही दोषी पुलिस अधिकारी की सेवा पुस्तिका में दो काले माक्र्स लगाए गए हैं। एसपी ने आयोग को बताया कि जब उन्होंने अपने स्तर से इस मामले की जांच की तो पाया कि रिजवाना परवीन के पति को बेवजह 58 दिनों तक जेल में रखा गया था।

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