नोटबंदी का साइड इफेक्‍ट, मालखाने में जब्‍त पुराने नोट भी हो गए बेकार

यह नोटबंदी का साइड इफेक्ट है। पुलिस द्वारा जब्‍त कर मालखाने में रखे हजार व पांच सौ के पुराने नोट तय समय सीमा के भीतर बदले नहीं जा सके। अब उनका भविष्य अधर में लटक गया है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Sun, 09 Apr 2017 07:21 AM (IST) Updated:Sun, 09 Apr 2017 10:22 PM (IST)
नोटबंदी का साइड इफेक्‍ट, मालखाने में जब्‍त पुराने नोट भी हो गए बेकार
नोटबंदी का साइड इफेक्‍ट, मालखाने में जब्‍त पुराने नोट भी हो गए बेकार

पटना [जितेन्द्र कुमार]। चोरी और रिश्वतखोरी के मामलों में पकड़े गए आरोपियों को सजा हो न हो, मगर नोटों को बड़ी सजा जरूर मिल गई है। चोरी, डकैती, बैंक लूट और रिश्वत लेने के मामले में पकड़े गए लोगों से जब्त पुराने नोट मालखाने में रखे-रखे अवैध हो गए। नोटबंदी के बाद 31 मार्च तक उनके बदलने की मियाद भी पूरी हो गई, मगर इनकी किस्मत नहीं बदली। कोर्ट केस के सबूत के रूप में पुलिस अभिरक्षा में रखे अब इन पुराने 1000 और 500 रुपये का भविष्य अदालत के फैसले पर निर्भर करेगा।

10 लाख से अधिक के पुराने नोट
बिहार में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो और आर्थिक अपराध इकाई बीते एक साल के दौरान करीब 86 ट्रैप केस किए हैं। इसमें करीब 10 लाख से अधिक के पुराने नोट कोर्ट के लिए सबूत के तौर पर सील कर रखा गया है। इसी तरह राज्य में चोरी, डकैती व बैंक लूट सहित अन्य मामले में छापेमारी के दौरान करोड़ो रुपये की बरामदगी हुई है। पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी और जब्ती सूची में एक-एक नोटों का विवरणी अदालत को बताया गया है।

ऐसे मामले की सुनवाई में पुलिस को साक्ष्य के रूप में नोटों को प्रस्तुत करना होता है। इसलिए उन्‍हें बैंक खाते में जमा नहीं किया जा सकता है। पुलिस के पास जब्त नोटों के भविष्य को लेकर सवाल खड़ा हो गया है।

इसलिए मालखाने में रखे जाते
आर्थिक अपराध इकाई यदि भ्रष्टाचार के आरोपी लोक सेवकों के घर से नकदी बरामद करती है तो उसे सरकारी बैंक खाते में जमा कराया जाता है, लेकिन यदि रिश्वत लेते लोक सेवकों को गिरफ्तार किया जाता है तो बरामद नोटों को पूरे विवरण के साथ साक्ष्य के रूप में सील बंद कर मालखाना में रखना होता है। इसी तरह किसी लूट, चोरी, बैंक लूट, ट्रेन लूट या जुआ अड्डे पर नकदी मिलने पर उसे भी कोर्ट केस के साक्ष्य के रूप में फैसला होने तक रखना अनिवार्य होता है।

110 घूसखोर लोकसेवकों से हुए जब्त

निगरानी ब्यूरो बीते तीन माह में 11 लोक सेवकों को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है। इससे 1.63 लाख रुपये जब्त किए गए। वर्ष 2016 में 110 लोक सेवक घूस लेते पकड़े गए। सबसे अधिक चार लाख रुपये नकद के साथ नवादा के एडीएम महर्षि राम गिरफ्तार हुए थे। एमवीआइ विनोद तिवारी के पास 3.68 लाख, गुलाम मुस्तफा के पास से 1.50 लाख और रामचंद्र तिवारी के पास से रिश्वत के एक लाख रुपये मिले थे।

वर्ष 2006 से करीब 753 लोक सेवक रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। रिश्वत के लाखों रुपये मालखाना में जब्त हैं, जिनपर फैसला आना बाकी है।

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अदालत के फैसले पर टिका भविष्य

आर्थिक अपराध के पुलिस महानिरीक्षक जितेन्द्र सिंह गंगवार कहते हैं कि निगरानी द्वारा ट्रैप केस में जो भी नोट जब्त किए गए हैं, उन्‍हें कोर्ट के फैसले के बाद जब्त नोट अभियुक्त को लौटाने या सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश पारित हो सकता है। अदालत के फैसले पर ही पुराने नोट का भविष्य तय हो सकेगा।

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