समय से पहले जन्म लेने वाले नवजात की आंखों की जांच जरूरी
समय से पूर्व जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के आंखों की जांच बहुत जरूरी है।
पटना। समय से पूर्व जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के आंखों की जांच बहुत जरूरी है। इस तरह के बच्चे को रेटिनोपैथी ऑफ प्री-मेच्योरिटी (आरओपी) नामक बीमारी होने की आशंका रहती है। इस तरह के बच्चों के जन्म के एक माह के अंदर जांच कराने से बीमारी पकड़ में आ जाती है। ये बातें रविवार को एम्स नई दिल्ली से आए नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. परिजात चंद्रा ने कहीं। उन्होंने कहा कि आरओपी एक गंभीर बीमारी है। इसके शिकार मरीज जीवनभर नेत्रहीनता का शिकार हो सकते हैं। कार्यशाला में बेंगलुरु के नारायण नेत्रालय से आए डॉ. आनंद विनेकर ने कहा कि नवजात शिशुओं की आंखों का इलाज आसान होता है। बाद में आरओपी की बीमारी दूर करना काफी कठिन होता है। इसके प्रति अभिभावकों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। सामान्यत: बच्चों के जन्म के एक माह के अंदर एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए। समारोह में आए अतिथियों का स्वागत करते हुए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की राज्य शाखा के अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि आरओपी नवजात शिशुओं में होने वाली प्रमुख बीमारी है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों का जन्म 35 सप्ताह से पहले हो जाए, उन बच्चों की आरओपी जांच जरूरी है। मौके पर दृष्टिपुंज नेत्रालय के निदेशक डॉ. सत्य प्रकाश तिवारी ने कहा कि जन्म के समय अगर बच्चे का वजन दो किलोग्राम से कम हो तो उसकी आंखों की जांच एक बार जरूर करा लेनी चाहिए। इससे बीमारी शुरू में ही पकड़ में आ जाती है और इलाज से उसे पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है।