बिहार में नशे का क्राइम कनेक्शन: शराबबंदी के बाद फर्स्ट च्वाईस बनी ब्राउन शुगर, जानिए कैसे

बिहार में अपराध की बढ़ती घटनाओं का एक बड़ा कारण नशे की लत भी है। नशे में अपराधी लगातार अपराध की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। शराबबंदी के बाद ब्राउन शुगर उनकी पहली पसंद बन गई है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Tue, 26 Nov 2019 10:09 AM (IST) Updated:Tue, 26 Nov 2019 11:35 PM (IST)
बिहार में नशे का क्राइम कनेक्शन: शराबबंदी के बाद फर्स्ट च्वाईस बनी ब्राउन शुगर, जानिए कैसे
बिहार में नशे का क्राइम कनेक्शन: शराबबंदी के बाद फर्स्ट च्वाईस बनी ब्राउन शुगर, जानिए कैसे

पटना [प्रशांत कुमार]। राजधानी में हत्या, लूट और चाकूबाजी की बढ़ती वारदातों के पीछे नशा एक बड़ा कारण बनकर सामने आया है। शराबबंदी से पहले अपराध करने के लिए हिम्मत जुटाने के लिए अपराधी शराब का सेवन करते थे। शराबबंदी के बाद ब्राउन शुगर पीने लगे हैं। नशा और चढ़े, इसके लिए डिप्रेशन दूर करने व खांसी से राहत देने वाली दवाइयां भी लेते हैं। 

नशे की बढ़ती प्रवृत्ति अब खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। ब्राउन शुगर खरीदने के लिए नशेड़ी रात में राहगीरों से छिनतई, लूट जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। खतरे की स्थिति में वे हत्या करने से भी नहीं हिचकते। पटना पुलिस के आंकड़ों के अनुसार इस साल जून से सितंबर तक 87 लोगों को ब्राउन शुगर के साथ गिरफ्तार किया गया। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। इस अवधि में पांच किलोग्राम से अधिक ब्राउन शुगर भी जब्त की गईं। 

केस 1 

अगमकुआं थानान्तर्गत भूतनाथ रोड में धनतेरस की रात मां गायत्री ज्वेलरी शॉप में डकैती के दौरान एक की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में गिरफ्तार कल्लू और उसके साथियों ने पुलिस को बताया था कि वारदात से पहले उन्होंने ब्राउन शुगर की डोज ली थी, ताकि विपरीत परिस्थिति में वे हिम्मत न हारें। 

केस 2

कदमकुआं निवासी कपड़ा व्यवसायी विवेक अग्रवाल से 50 लाख रुपये रंगदारी मांगी गई थी। इसमें मामले में गिरफ्तार अमन, मोंटी और रवि ने पुलिस के सामने कबूल किया था कि वे ब्राउन शुगर के आदी हैं। रंगदारी के लिए कॉल करने से पहले उन्होंने इसका सेवन किया था। उनके पास से यह बरामद भी हुआ था।

केस 3 

कंकड़बाग थानान्तर्गत चिरैयाटांड पुल के पास हर्षित नामक युवक ने मो. फिरोज को दौड़ाकर चाकू मारा था। दोनों दोस्त थे। हर्षित ने पुलिस को बताया था कि फिरोज और वह ब्राउन शुगर पीते हैं। फिरोज ने उससे रुपये लिए थे, जिसे लौटाने में वह आनाकानी कर रहा था। आर्थिक तंगी के कारण वह ब्राउन शुगर की डोज नहीं ले पा रहा था।

नशे में वारदात की बात नहीं लिखती पुलिस 

आमतौर पर हत्या, लूट, डकैती आदि को अंजाम देने वाले आरोपित नशे की हालत में होने का लाभ नहीं उठा सकें, इसके लिए कबूलनामे में पुलिस इस बात को छिपा देती है। हालांकि, पुलिस जब उनका ब्योरा तैयार करती है तो उसमें यह जिक्र होता है कि वे किस तरह का नशा करते हैं ताकि जेल से छूटने के बाद उन्हें खोजने में परेशानी न हो।

खो जाती है समझ, नहीं रहता डर 

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता शिवांगी के मुताबिक ब्राउन शुगर ही नहीं, किसी प्रकार की ड्रग्स का सेवन दिमाग के सोचने की क्षमता को छीन लेता है। सेवन करते वक्त व्यक्ति के दिमाग में जो बात बैठ जाती है, वह उसी की धुन में रम जाता है। वह क्या करने जा रहा है और उसका परिणाम क्या होगा, इसका उसे जरा भी अंदाजा नहीं होता।

मादक पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई जारी 

मादक पदार्थ बेचने और सेवन करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। बड़े स्तर पर ब्राउन शुगर की तस्करी करने वाली महिला और उसको गुर्गों को भी गिरफ्तार किया गया था। सूचना पर पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है।

    - गरिमा मलिक, एसएसपी पटना

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