पटना में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान, केवल इमरजेंसी में हुआ इलाज Patna News

लोकसभा द्वारा पारित मेडिकल आयोग बिल के विरोध में चिकित्सक बुधवार को हड़ताल पर उतर आए। इस दौरान डॉक्टरों की हड़ताल से राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Wed, 31 Jul 2019 11:08 AM (IST) Updated:Wed, 31 Jul 2019 11:08 AM (IST)
पटना में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान, केवल इमरजेंसी में हुआ इलाज Patna News
पटना में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज परेशान, केवल इमरजेंसी में हुआ इलाज Patna News

पटना, जेएनएन। राजधानी में बुधवार को डॉक्टरों की ह़ड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई। लोकसभा द्वारा पारित मेडिकल आयोग बिल के विरोध में चिकित्सक उतर आए। एेसे में पटना के अधिकांश डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। कुछ स्थानों पर केवल इमरजेंसी सेवा ही बहाल रही। एेसे में दूर दराज से आए मरीजों को अस्पताल से वापस लौटना पड़ा। डॉक्टरों की हड़ताल के दौरान पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, न्यू गार्डिनर और राजवंशी नगर हॉस्पिटल की इमरजेंसी में मरीजों का इलाज हुआ। वहीं कई जगह निराश लौटने के कारण आइजीआइएमएस की ओपीडी में मरीजों की लंबी कतारें देखी गईं।


बताते चलें कि लोकसभा द्वारा पारित मेडिकल आयोग बिल के विरोध में प्रदेश के डॉक्टरों ने 31 जुलाई की सुबह छह बजे से एक अगस्त सुबह छह बजे तक कोई भी नियमित कार्य नहीं करने का निर्णय लिया है। इस दौरान डॉक्टरों ने सिर्फ इमरजेंसी में अपनी सेवा देने का निर्णय लिया है। एमसीआइ (बिहार इकाई) ने केंद्रीय इकाई के निर्देश पर यह एलान किया है।




एमसीआइ (बिहार इकाई) के अध्यक्ष डॉ. शालिग्राम विश्वकर्मा और राज्य सचिव डॉ. ब्रजनंदन कुमार ने कहा कि एमसीआइ ने पिछले 60-70 वर्ष से आधुनिक चिकित्सा पद्धति की शुद्धता को बनाए रखी थी। सभी देशों में चिकित्सा की कई पद्धति प्रचलित हैं, परन्तु कहीं भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में तोड़फोड़ नहीं की गई। साढ़े पांच साल तक मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद ही कोई व्यक्ति डॉक्टर बन पाता है। उसमें संशोधन करते हुए यह व्यवस्था बहाल की जा रही है कि छह महीने के प्रशिक्षण के बाद कोई भी डॉक्टर बन सकेगा। इस व्यवस्था का सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को उठाना होगा। संगठन के इन पदाधिकारियों ने मेडिकल आयोग बिल को पूरी तरह से गरीब विरोधी बताया है।

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