3000 मरीजों की हिमायत में आगे आए डॉक्टर

बिहार का दूसरे बड़े नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 24 मार्च से ही सभी तरह के मरीजों का इलाज बंद है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 12:07 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 06:10 AM (IST)
3000 मरीजों की हिमायत में आगे आए डॉक्टर
3000 मरीजों की हिमायत में आगे आए डॉक्टर

पटना सिटी । बिहार का दूसरे बड़े नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 24 मार्च से ही सभी तरह के मरीजों का इलाज बंद है। केवल कोरोना संक्रमितों को भर्ती किया जा रहा है। यहां एमबीबीएस और पीजी के सभी बैच के क्लिनिकल क्लास और बेडसाइड टीचिग नहीं हो रही है। यहां कार्यरत लगभग पांच सौ डॉक्टरों में से अधिकांश की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं। अपूर्ण रूप से यहां प्रशिक्षित हो रहे डॉक्टर भविष्य में समाज के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। यह चिता बुधवार को एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत से मिल कर व्यक्त किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मयंक कुमार, महासचिव डॉ. कुशाग्र गर्ग, डॉ. दिव्यांशु मार्तण्ड समेत अन्य ने कहा कि पूरे मामले को गंभीरता से सुनते हुए उन्होंने बेहतरी के लिए जल्द ही कुछ करने का आश्वासन दिया है।

750 बेड वाले एनएमसीएच के विभिन्न विभागों की ओपीडी में हरदिन लगभग तीन हजार मरीज पहुंचते हैं। इमरजेंसी, आइसीयू, आइसीसीयू, सर्जरी, कैंसर, डायलिसिस, प्रसव, दुर्घटनाग्रस्त मरीज, नीकू-पीकू में बच्चों का इलाज नहीं हो रहा है। यह अस्पताल केवल क्वारंटाइन सेंटर बन कर रह गया है। कोरोना संक्रमित चार-छह मरीज ही यहां पहुंच रहे हैं। मेडिकल कॉलेज से जुड़े इस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था एवं पढ़ाई ठप पड़ी है। जूनियर डॉक्टरों ने एनएमसीएच को जनहित में कोरोना मुक्त किए जाने की मांग की है।

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एनएमसीएच को कोरोना अस्पताल घोषित किया जाना सरकार का निर्णय है। यहां मरीज भर्ती हो रहे हैं। ठीक होकर घर भी लौट रहे हैं। अस्पताल में सामान्य मरीजों का इलाज व मेडिकल पढ़ाई ठप होने आदि से जुड़ा मामला पॉलिसी मैटर है। इसमें मैं कुछ भी नहीं कह सकता हूं।

- डॉ. विजय कुमार गुप्ता, प्राचार्य, एनएमसीएच

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