जांच की जिच में फिर राजधानी में कहर बरपाएगा डेंगू, 10 डॉक्टर भी आ चुके हैं चपेट में
आइजीआइएमएस के दस डॉक्टरों समेत उनके परिवार के करीब 23 लोगों को चपेट में लेकर पिछले साल के खतरनाक तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। सिर्फ एक माह में जिले में करीब तीन दर्जन लोग डेंगू बुखार से पीडि़त हो चुके हैं।
पवन कुमार मिश्र, पटना। एडीज मच्छर के डंक से होने वाले डेंगू ने आइजीआइएमएस के दस डॉक्टरों समेत उनके परिवार के करीब 23 लोगों को चपेट में लेकर पिछले साल के खतरनाक तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। सिर्फ एक माह में जिले में करीब तीन दर्जन लोग डेंगू बुखार से पीडि़त हो चुके हैं। वहीं, सरकारी से लेकर निजी लैब तक में रैपिड कार्ड से जांच होने के कारण स्वास्थ्य विभाग इन्हें डेंगू का मामला मानने को तैयार नहीं है। इस कारण जिन इलाकों में डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर उड़ रहे हैं, वहां फॉगिंग या एंटी लार्वा दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, यदि अभी से डेंगू मच्छरों की रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तो आगामी एक माह में गत वर्ष से ज्यादा मरीज सामने आ सकते हैं। बताते चलें कि गत वर्ष प्रदेश में 6665 डेंगू के मामले मिले थे और 49 से अधिक की मौत हुई थी। इनमें से 5000 मामले सिर्फ पटना के थे।
वेक्टर बोर्न डिजीज के स्टेट नोडल पदाधिकारी डॉ. एमपी शर्मा के अनुसार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) एलाइजा रीडर से ही डेंगू की जांच को मान्यता देता है। इसके लिए सभी संस्थानों को राज्य स्वास्थ्य समिति से एनएस-1 किट और नेशनल वायरोलॉजी लैब पुणे से आइजीएम किट मुफ्त मिलती है। आइजीआइएमएस जैसे बड़े संस्थान में भी एलाइजा रीडर से डेंगू की जांच नहीं की जा रही इसलिए उनके 10 डॉक्टर समेत 23 लोगों को पॉजिटिव नहीं माना जा रहा।
सरकारी आंकड़ों में अब तक पटना में तीन, प्रदेश में 33 मामले
डॉ. एमपी शर्मा के अनुसार, इस वर्ष अब तक प्रदेश में डेंगू के कुल 33 मामले सामने आए हैं। इनमें तीन रोगी पटना के हैं। वहीं, जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. शंभू शरण सिंह ने बताया कि डेंगू के जिन तीन मामलों की सूचना मिली है, सभी जगह नगर निगम से फॉगिंग कराई है। पीएमसीएच या आरएमआरआइ में मंगलवार को टीम भेजकर मामले की पड़ताल की जाएगी। साथ ही एलाइजा रीडर से जिन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आए, उनकी सूचना देने के लिए कहा जाएगा ताकि वहां फॉगिंग कराई जा सके।
कम खर्चे में तुरंत परिणाम के कारण डॉक्टरों की पसंद है प्रतिबंधित किट
बुखार आने के पांच दिन के अंदर डेंगू की पुष्टि के लिए एंटीजन एनएस-1 रैपिड जांच राजधानी में धड़ल्ले से की जा रही है। उनका तर्क है कि किट की सेंसटिविटी 90 फीसद से अधिक है। वहीं, सरकार के अनुसार रैपिड डायग्नोस्टिक किट टेस्ट की सेंसिटिविटी काफी कम है और इसके अनुसार व्यक्ति को सिर्फ संभावित डेंगू मरीज कहा जा सकता है। एलाइजा रीडर की रिपोर्ट ही प्रमाणिक है। इससे डॉक्टर को सही इलाज करने में मदद मिलती है। सरकार ने 2015 में रैपिड किट से डेंगू जांच को प्रतिबंधित भी कर दिया था।