कोरोना से हुई मौत तो अंतिम बार देखने भी नहीं पहुंचे स्वजन, आप भी जान लें प्रोटोकॉल

बिहार के नालंदा में कोरोना से एक व्यक्ति की मौत हुई तो स्वजन देखने तक नहीं पहुंचे। आप भी जान लें संक्रमित की मौत होने पर क्या हैं सरकारी प्रोटोकॉल।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 28 Jun 2020 08:02 AM (IST) Updated:Sun, 28 Jun 2020 08:02 AM (IST)
कोरोना से हुई मौत तो अंतिम बार देखने भी नहीं पहुंचे स्वजन, आप भी जान लें प्रोटोकॉल
कोरोना से हुई मौत तो अंतिम बार देखने भी नहीं पहुंचे स्वजन, आप भी जान लें प्रोटोकॉल

नालंदा, जेएनएन। दमा व शुगर से पीड़ित बिहारशरीफ के सकुनत मोहल्ले के बाशिंदे संजीव कुमार (48) का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया। गुरुवार की रात बिहारशरीफ के 17 नंबर मोड़ के निकट मुक्ति धाम में एक शव का दाह संस्कार किया गया। इस दौरान परिवार का एक भी सदस्य नहीं था। पुत्र आया भी तो दो मिनट में मुखाग्नि दी और चला गया। वे शव की राख भी लेने नहीं आया। शवदाह के लिए लकड़ी भी सरकार की ओर मुहैया कराई गई थी। मृतक का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि न उनके मुख में गंगा जल पड़ा, न शव को नहलाया गया, न चंदन-हल्दी का लेप लगा और अनाथ की तरह दाह-संस्कार कर दिया गया। यह दाह संस्कार समाज के लिए आईने की तरह है। वहीं उन लोगों के लिए सबक है, जो संक्रमण से बचने को जरूरी ऐहतियात नहीं बरत रहे।   

शवों के सुरक्षित अंतिम संस्कार के कई प्रोटोकॉल

कोविड-19 संक्रमितों की मौत होने पर उनके शवों के सुरक्षित प्रबंधन एवं निस्तारण को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी दिशा-निर्देश जारी किया है। शव प्रबंधन में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों को स्टैण्डर्ड इन्फेक्शन प्रिवेंशन कंट्रोल प्रोटोकॉल का अनुपालन करने की सलाह दी गई है। उन्हें हाथों की सफाई तो करनी ही है, साथ में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट भी पहनना है। शव प्रबंधन में इस्तेमाल हुए स्ट्रेच, बेड एवं डिवाइस को डिसइन्फेक्ट भी पहनना है।

आइसोलेशन रूम या क्षेत्र से शव निकालने में बरतें सावधानी

मरीज के शरीर में लगी ट्यूब व कैथेटर को सावधानी से हटाया जाना है। शव के किसी हिस्से में हुए जख्म या खून के रिसाव को ढंकना है। उस हिस्से को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट की मदद से कीटाणुरहित व ड्रेङ्क्षसग कर शव को प्लास्टिक बैग में रखा जाना है। ध्यान रखना है कि शरीर से तरल पदार्थ का रिसाव बाहर न हो। संक्रमित के इलाज के दौरान इस्तेमाल सभी चीजों को बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के अनुसार ही नष्ट करना है।

सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन कर स्वजन ले सकते हैं शव

शव को विशेष रूप से तैयार किए गए प्लास्टिक बैग में रख कर ही शव को उनके स्वजन को देना है। स्वजन कोविड-19 के सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ ही शव का दर्शन कर सकते हैं। शव को नहलाना, चूमना या गले लगाने पर रोक है। शव पर किसी प्रकार का लेप नहीं लगाना है। शवदाह गृह या कब्रिस्तान में भी अंतिम संस्कार कार्य में लगे लोगों को साबुन एवं पानी से अच्छी तरह हाथ धोने, मास्क व दस्तानों का इस्तेमाल करने एवं परस्पर दूरी बनाए रखना है। शव के अंतिम संस्कार में अधिक भीड़-भाड़ नहीं करने की बात भी कही गई है।

स्वजन कर सकते हैं जरूरी विधि-विधान

गाइडलाइन में कहा गया है कि अंतिम संस्कार के दौरान वैसी गतिविधियां, जिनमें शव के संपर्क में आने की जरूरत न हो, जैसे पवित्र जल का छिड़काव, मंत्रोच्चार या ऐसे अन्य कार्य किए जा सकते हैं। शव को जलाने के बाद उसकी राख से किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा नहीं है। इसलिए इसे जमा किया जा सकता है।

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