Bihar Coronavirus Effect: बिहार पर कोरोना की दोहरी मार : कम हुई आमदनी, बढ़ गया खर्च
बिहार की अर्थ व्यवस्था पर कोरोना की दोहरी मार पड़ी है- आमदनी कम हो गई है। खर्च बढ़ गया है। चालू वित्त वर्ष में निदान की गुंजाइश भी नजर नहीं आ रही है। ले-देकर कर्ज का आसरा है।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार की अर्थ व्यवस्था पर कोरोना की दोहरी मार पड़ी है- आमदनी कम हो गई है। खर्च बढ़ गया है। चालू वित्त वर्ष में निदान की गुंजाइश भी नजर नहीं आ रही है। ले-देकर कर्ज का आसरा है। कर्ज लेने का दायरा बढ़ जाने से सरकार को थोड़ी राहत मिल गई है। उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी स्वीकार करते हैं कि कर्ज लेकर ही जरूरी खर्च पूरे किए जा सकते हैं। हालात जल्द ठीक हुए तो गाड़ी पटरी पर भी आ सकती है।
मोदी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अब राज्य सरकार कर्ज मद में 52,243 करोड़ रुपये तक ले सकती है। केंद्र सरकार ने राज्यों की मांग पर कर्ज की अधिकतम सीमा का विस्तार किया है। पहले एसजीडीपी के तीन प्रतिशत के दायरे में राज्य को अधिकतम 39,341 करोड़़ रुपये तक का कर्ज लेने की अनुमति थी। केंद्र ने इस सीमा को तीन से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर दिया है। इससे राज्य को काफी मदद मिलेगी।
इसके अलावा केंद्र से बिना शर्त 0.5 प्रतिशत तक कर्ज लेने की अनुमति मिलने से भी 3230 करोड़ रुपये का कर्ज मिल सकता है। एक देश, एक राशन कार्ड, ऊर्जा वितरण, शहरी निकाय और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार से 1.5 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज के तहत 6661 करोड़ रुपया कर्ज मिल सकता है। इसके अलावा कोरोना के मद्देनजर केंद्र ने मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों के लिए 40 हजार करोड़ रुपये का जो प्रावधान किया है, इसमें भी बिहार को अच्छा हिस्सा मिलेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि बाजार पर ताजा लॉकडाउन का असर कम से कम जून तक रहेगा। इसके बाद बरसात का मौसम है, जिसे बाजार के लिए बहुत मुफीद नहीं माना जाता है।
सालाना 34570 करोड़ रुपये की आय अनुमानित
राज्य के अपने स्रोत से सालाना 34570 करोड़ रुपये की आय अनुमानित है। मोटा हिसाब बैठता है महीने में 28 सौ करोड़ रुपया। अप्रैल 2019 में इन मदों से 2542 करोड़ रुपये आए थे। इस साल अप्रैल में यह सिर्फ साढ़े चार सौ करोड़ रुपया रह गया। यानी पिछले साल के अप्रैल की तुलना में इस साल आय में 82.29 प्रतिशत की कमी आई।
केंद्र पर राज्य की बढ़ गई निर्भरता
इसका मतलब यह है कि राजस्व के मामले में केंद्र पर राज्य की निर्भरता बढ़ गई है। राज्य के चालू बजट में केंद्रीय करों में राज्यों की भागीदारी मद में 91181 करोड़ रुपये के आय की उम्मीद की गई है। कारोबार का हाल ऐसा नहीं है कि यह पूरी रकम मिल जाए।
यह है राज्य के आय का अपना स्रोत (करोड़ में)
स्टेट जीएसटी 20800
राज्य कर और वैट- 5830
स्टांंप-रजिस्ट्रेशन- 4700
वाहन कर 2500
भूमि राजस्व 500
टैक्स-इलेक्ट्रिक डयूटी 250
गैर-कर राजस्व 250