स्वच्छ भारत योजना की गाइडलाइन में बदलाव, जानें बिहार में इससे क्या होंगे परिवर्तन

Bihar News केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-दो के गाइडलाइन में संशोधन किया है। स्वच्छ पेयजल शौचालय और ठोस कचरा प्रबंधन के बाद अब राज्य के गांवों में जल शोधन इकाइयां भी स्थापित होंगी।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 07:44 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 07:44 PM (IST)
स्वच्छ भारत योजना की गाइडलाइन में बदलाव, जानें बिहार में इससे क्या होंगे परिवर्तन
ठोस कचरा प्रबंधन के के गांवों में बनेंगी जल शोधन इकाइयां। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना। स्वच्छ पेयजल, शौचालय और ठोस कचरा प्रबंधन के बाद अब राज्य के गांवों में जल शोधन इकाइयां भी स्थापित होंगी। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने बिहार सरकार को पत्र लिख कर इसकी तैयारी करने के लिए कहा है। पांच हजार तक की आबादी वाले पंचायतों के लिए प्रति व्यक्ति दो सौ 80 रुपया, जबकि उससे अधिक आबादी वाले ग्राम पंचायतों के लिए प्रति व्यक्ति छह सौ 60 रुपये के हिसाब से बजट बनाने का निर्देश दिया गया है। लक्ष्य यह है कि रसोई एवं स्नान घर से निकलने वाले जल को शोधित कर दोबारा इस्तेमाल किया जाए। कृषि या ग्रामीण उद्योग में इसका इस्तेमाल होगा। 

नई व्यवस्था के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-दो के गाइडलाइन में संशोधन किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस कचरा प्रबंधन का प्रविधान पहले से है। इसके लिए पांच हजार तक की आबादी वाले पंचायतों में प्रति व्यक्ति 60 रुपये का खर्च निर्धारित है। इसमें जल शोधन इकाइयों को भी जोड़ा गया है। कुल खर्च में 30 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को वहन करना है। यह राशि 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा से पंचायतों को मिलने वाले अनुदान से दी जाएगी। ठोस कचरा प्रबंधन और जल शोधन के लिए निर्धारित राशि को एक दूसरे मद में खर्च किया जा सकता है। 

प्रखंडों में प्लास्टिक मैनेजमेंट 

प्लास्टिक कचरा के प्रबंधन के लिए प्रत्येक प्रखंड में एक इकाई के निर्माण का प्रविधान किया गया है। इस पर 16 लाख रुपये खर्च होंगे। स्वच्छता मिशन ग्रामीण में अधिक व्यय के लिए राज्यों को प्राधिकृत किया गया है। यह व्यय 15 वें वित्त आयोग से मिली राशि के अलावा सांसद-विधायक निधि, कारपोरेट कंपनियों के सीएसआर, मनरेगा और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से हो सकता है। प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की राशि का भी एक से दूसरे प्रखंड में उपयोग किया जा सकता है। यानी एक प्रखंड में अगर रुपया बच गया है तो दूसरे प्रखंड की प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाई में उसे व्यय किया जाएगा। राज्य सरकार को कहा गया है कि वह प्रस्ताव भेजे कि गाइडलाइन में बदलाव के बाद वह इस योजना को किस तरह लागू करेगा। 

शौचालय में बेसिन

ग्रामीण गरीबों को व्यक्तिगत शौचालय के लिए 12 हजार रुपये दिए जाते हैं। इस योजना के तहत नए बनने वाले शौचालय में हाथ साफ करने के लिए बेसिन भी लगाना होगा। शौचालय की सफाई के लिए नियमित जल प्रवाह हो, इसके लिए जल भंडारण की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। 

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