बिहार में बढ़ रहे साइबर क्राइम के मामले, अब पटना में बैंक अकाउंट से उड़ा लिये 10 लाख रुपये
बिहार में नहीं थम रहा साइबर क्राइम। खासकर राजधानी में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इससे निबटने में पटना पुलिस सुस्त नजर आ रही है। अब पटना में खाते से 10 लाख उड़ा लिये।
पटना, जेएनएन। बिहार में नहीं थम रहा साइबर क्राइम। खासकर राजधानी में साइबर क्राइम का ग्राफ जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे निबटने में पटना पुलिस उतनी ही सुस्त नजर आ रही है। एक नया मामला फिर सामने आया है। पटना सिटी इलाके के गायघाट की रहने वाली निधि के बैंक खाते से साइबर अपराधियों ने 10 लाख रुपये उड़ा लिये हैं। इस संबंध में आलमगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। दरअसल, साइबर क्राइम से निबटने के लिए राज्य पुलिस मुख्यालय बड़े-बड़े दावे करता रहा, पर जमीनी हकीकत उसके उलट है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि जिले में इंटरनेट के जरिए आर्थिक अपराध में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। हर महीने 25-30 केस जिलों के थानों में दर्ज होते हैं।
चंद मिनटों में ट्रांसफर कर लिया 10 लाख
पटना सिटी की निधि कुमारी की ओर से दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि पुणे स्थिति उसके खाते में अाइसीआइसी बैंक की ओर से 12 लाख 40 हजार रुपये का लोन स्वीकृत होकर राशि अकांउट में आ गई थी। इसके चंद मिनटों बाद उससे साइबर अपराधियों ने 10 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। उन्होंने प्राथमिकी में यह भी कहा है कि जिस खाते में रुपया ट्रांसफर हुआ है, वह पश्चिम बंगाल के किसी गायत्री दास पाण्डा नामक आदमी का है। निधि ने पुलिस से कार्रवाई करने की मांग की है।
जीवनभर की पूंजी गंवा चुके हैं कई लोग
गौरतलब है कि इंटरनेट बैंकिंग या डेबिट व क्रेडिट कार्ड का क्लोन बनाकर बैंक खाते से रुपये गायब करने के मामलों में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। कई नौकरी-पेशा वाले लोग और छोटे कारोबारी तो जीवनभर की पूंजी तक गवां चुके हैं। इसके अलावा फोन पर प्रलोभन देकर ठगी करने की तकनीक लंबे समय से चली आ रही है। साल 2019 में इस तरह के कुल 280 मामले दर्ज हुए और एक कांड में भी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। वहीं, इंस्टाग्राम हैक करनेे का केवल एक मामला गांधी मैदान थाने में दर्ज किया गया था। इस कांड में भी पुलिस आरोपित की पहचान तक नहीं कर पाई। सूत्रों की मानें तो फेसबुक, इंस्टाग्राम और ई-मेल हैक करने के मामलों में पुलिस सनहा दर्ज कर छोड़ देती है। पीडि़त भी इतने पर ही संतोष कर लेता है कि आगे वह किसी मुकदमे में नहीं फंस सकता।
हर साल मिलता है प्रशिक्षण
पुलिसकर्मियों को हर साल साइबर प्रशिक्षण के लिए दूसरे शहरों में एक्सपर्ट के पास भेजा जाता है। इस साल बीएमपी में भी ट्रेनिंग कराई गई थी, लेकिन इसका लाभ आमजन को नहीं मिलता। पोस्टल पार्क निवासी रिटायर्ड शिक्षक सुमन चक्रवर्ती ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले एटीएम से 45 हजार रुपये की फर्जी निकासी की शिकायत कंकड़बाग थाने में दर्ज कराई थी। एक बार जांचकर्ता ने बुलाकर बैंक खाते से संबंधित जानकारी मांगी थी।
जामताड़ा से जुड़ा है फर्जीवाड़े का लिंक
पुलिस अधिकारियों की मानें तो झारखंड के जामताड़ा में अधिकतर जालसाजों का जमावड़ा लगता है। वहीं से इंटरनेट कॉलिंग के माध्यम से जालसाज शिकार को कॉल कर ठगी करते हैं। उनके लोकेशन का सटीक पता नहीं चल पाता। सिम कार्ड व आइपी एड्रेस दूसरों के नाम से होते हैं।
कहते हैं अधिकारी
सभी थानों को निर्देश दिया गया है कि वे साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में आइपीसी और आइटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करें। शिकायतों पर हर संभव कार्रवाई करने का प्रयास किया जाता है।
- उपेंद्र कुमार शर्मा, एसएसपी।