भाजपा के लिए ही चुनौती बन रहीं मोदी की रैलियां

मुजफ्फरपुर के चक्कर मैदान में गत 25 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में उमड़ी भारी भीड़ अब प्रदेश भाजपा नेताओं के लिए ही चुनौती बन गई है।अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व को गया, सहरसा और भागलपुर की रैलियों में भी ऐसी ही भीड़ जुटाने लक्ष्य दिया है।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Fri, 31 Jul 2015 08:41 AM (IST) Updated:Fri, 31 Jul 2015 01:08 PM (IST)
भाजपा के लिए ही चुनौती बन रहीं मोदी की रैलियां

पटना [सुभाष पांडेय]। मुजफ्फरपुर के चक्कर मैदान में गत 25 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में उमड़ी भारी भीड़ अब प्रदेश भाजपा नेताओं के लिए ही चुनौती बन गई है। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश नेतृत्व को गया, सहरसा और भागलपुर की रैलियों में भी ऐसी ही भीड़ जुटाने का लक्ष्य दे दिया है।

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'अबकी बार भाजपा सरकार' का लक्ष्य लेकर विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी पार्टी ने बिहार को चार हिस्सों में बांटकर चुनाव की घोषणा से पूर्व राज्य में प्रधानमंत्री की चार बड़ी रैलियां आयोजित करने की रणनीति बनाई है, ताकि चुनाव आयोग जैसे ही प्रदेश में कार्यक्रमों की घोषणा करे पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ आक्रामक तरीके से मैदान में उतर सके।

भाजपा राज्य में सत्ता परिवर्तन को ही फोकस करके पूरा अभियान चलाने जा रही है। 16 जुलाई को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जिन 160 रथों को रवाना किया, उनका नाम भी 'परिवर्तन रथ' ही रखा गया। इसके बाद प्रधानमंत्री की रैलियों का नाम भी इसी कड़ी में 'परिवर्तन रैली' दिया गया है।

मुजफ्फरपुर की रैली में उम्मीद से कहीं ज्यादा जुटी भीड़ ने गया में नौ अगस्त को होने वाली प्रधानमंत्री की रैली के लिए भाजपा की राज्य इकाई के साथ ही साथ पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। यही वजह है कि भाजपा, उसके सहयोगी दल 'रालोसपा' और 'हम' के नेता गया के गांधी मैदान की रैली की तैयारियों में जोर-शोर से जुट गए हैं। बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव गत मंगलवार को गया में मगध क्षेत्र के नेताओं की इस संबंध में बैठक भी कर चुके हैं।

राजनैतिक रूप से वैसे भी गया जिला भाजपा का पुराना गढ़ माना जाता रहा है। अत्यंत पिछड़े वर्ग के पूर्व मंत्री प्रेम कुमार लगातार पांच बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। मंडल के दौर में भी सिर्फ एक बार राजद को गया लोकसभा सीट पर सफलता हासिल हुई थी। गया की यह रैली प्रेम कुमार के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी एनडीए में अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के लिए अधिक से अधिक सीटें हासिल करनी है तो उन्हें गया रैली में अपनी ताकत दिखानी होगी। मांझी अपने करीबी जहानाबाद के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के साथ इस रैली की तैयारी में जुट गए हैं। वैसे भी मांझी की बिरादरी का सबसे ज्यादा अगर कहीं असर है तो वह गया का इलाका माना जाता है।

रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार के लिए भी गया की रैली काफी महत्वूपर्ण है, क्योंकि दोनों के ही लोकसभा क्षेत्र काराकाट और जहानाबाद मगध क्षेत्र में ही आते हैं।

प्रदेश भाजपा नेताओं की मानें तो मुजफ्फरपुर की तरह ही गया रैली सफल रही तो सहरसा में 19 अगस्त और भागलुपर में 30 या 31 की रैली में भीड़ जुटाने में उसे ज्यादा परेशानी नहीं होगी, क्योंकि तब तक चुनाव का माहौल बन चुका रहेगा।

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