अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवसः इतिहास के आंगन में विरासत की झलक दिखाता अभिलेखागार

बिहार अभिलेख भवन में मुगल काल से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन और आजाद भारत की कहानी बतातीं तमाम तस्वीरें और पाठ्य सामग्री शामिल है। जानें इसका इतिहास-

By Edited By: Publish:Tue, 09 Jun 2020 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 09 Jun 2020 08:41 AM (IST)
अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवसः इतिहास के आंगन में विरासत की झलक दिखाता अभिलेखागार
अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवसः इतिहास के आंगन में विरासत की झलक दिखाता अभिलेखागार

पटना, जेएनएन। बिहार अभिलेख भवन में रखे दस्तावेज न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश और विश्व के इतिहास के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। इसमें मुगल काल से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन और आजाद भारत की कहानी बतातीं तमाम तस्वीरें और पाठ्य सामग्री शामिल है। जमींदारी प्रथा के दस्तावेज, टोडरमल की डायरी, बापू के बिहार आगमन से जुड़े कई दुर्लभ दस्तावेज अभिलेखागार भवन की शोभा बढ़ाते हैं।

 बेली रोड स्थित बिहार अभिलेख भवन में ऐतिहासिक और प्रशासनिक महत्व की पुस्तकों का विशाल संग्रह शोधार्थियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। अभिलेख भवन की पुराभिलेखपाल डॉ. रश्मि की मानें तो पुराने दस्तावेजों को संग्रह और प्रकाशन को लेकर अभिलेखागार की परिकल्पना की गई थी। लगभग 2.3 एकड़ में बने भवन का उद्घाटन 23 अक्टूबर 1987 को तत्कालीन उप-राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने की थी।

टोडरमल की डायरी का अन्य भाषाओं में अनुवाद

अभिलेख भवन में रखे पुराने दस्तावेजों के बारे में बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय के निदेशक सह उपसचिव डॉ. महेंद्र पाल बताते हैं कि यहां पर मुगल बादशाह के नवरत्नों में शुमार राजा टोडरमल की परशियन लिपि में रखी डायरी है जो तत्कालीन भू-व्यवस्था को बताती है। फारसी में लिखी डायरी को अन्य भाषाओं में अनुवाद करने का काम प्रक्रिया में है। इस डायरी में टोडरमल ने बिहार की जमींदारी व्यवस्था और शासन व्यवस्था को दर्शाया है। यहां नेताजी सुभाषचंद्र बोस, बापू का बिहार आगमन, ईस्ट इंडिया कंपनी के साम्राज्यवादी विस्तार, पंडित राजकुमार शुक्ल की डायरी, गांधी की चंपारण यात्रा से जुड़े दस्तावेज भी सहेजकर रखे गए हैं।

वेबसाइट पर कई महत्वपूर्ण जानकारी

बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय की ओर से वेबसाइट का निर्माण किया गया है। डॉ. रश्मि किरण एवं डॉ. एके रंजन ने कहा कि वेबसाइट का निर्माण होने के बाद कई प्रकार के दस्तावेज को वेबसाइट पर अपलोड करने की प्रक्रिया चल रही है। डॉ. महेंद्र पाल ने कहा कि कोविड-19 के दौरान भी दुर्लभ दस्तावेजों का डिजटाइजेशन का कार्य चल रहा है। आने वाले दिनों में लोग घर बैठे वेबसाइट के जरिए दस्तावेज को पढऩे के साथ जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

2007 में हुई शुरुआत

मानव सभ्यता के विकास के साथ आम आदमी की जिंदगी में दस्तावेज यानी अभिलेख का महत्व बढ़ता गया। हर आदमी अपने दैनिक जीवन में अभिलेखों को सहेजता और संवारता है। ये अभिलेख आपका राशन कार्ड, बैंक पासबुक, आपकी डायरी कुछ भी हो सकता है। हमारे-आपके सहेजे ऐसे ही दस्तावेज और अभिलेख कई बार पूरे समाज और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं। ऐसे ही अभिलेखों के संरक्षण और प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए हर साल नौ जून को अंतरराष्ट्रीय अभिलेख दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2007 में हुई।

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