Bihar Politics: बिहार की 8 सीटें ही ऐसी, जहां लगी जीत की हैट्रिक; अब चौथी बार बाजी मारने पर इन नेताओं की नजर

Bihar News बिहार में लोकसभा चुनाव नदजीक आ गया है। ऐसे में कई लोग सीटों पर पिछला रिकॉर्ड भी जानना चाह रहे हैं। बिहार में 8 सीटें ऐसी हैं जिनपर हैट्रिक लग चुकी है। इन सीटों पर उम्मीदवार अब चौथी पारी खेलने के लिए तैयारी कर रहे हैं। वहीं 32 लोकसभा सीटों पर तीसरी बारी आने से पहले ही दलों को हार का मुंह देखना पड़ा है।

By Rajat Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Publish:Fri, 05 Apr 2024 02:54 PM (IST) Updated:Fri, 05 Apr 2024 02:54 PM (IST)
Bihar Politics: बिहार की 8 सीटें ही ऐसी, जहां लगी जीत की हैट्रिक; अब चौथी बार बाजी मारने पर इन नेताओं की नजर
बिहार में 8 लोकसभा सीटों पर लग चुकी है जीत की हैट्रिक (जागरण)

HighLights

  • बिहार में 8 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां हैट्रिक लग चुकी है।
  • कुछ ऐसे नेता हैं जो कि चौथी पारी खेलने के लिए तैयार हैं।

कुमार रजत, पटना। Bihar Politics News in Hindi: बिहार में लोकसभा की मात्र आठ सीटें ही ऐसी है, जहां पिछले तीन चुनावों से लगातार एक ही दल के उम्मीदवार जीत रहे हैं। इसके अलावा अन्य 32 लोकसभा सीटों पर तीसरी बारी आने से पहले ही दलों को चुनावी समर में हार का सामना करना पड़ा है। इसमें सर्वाधिक छह सीटें भाजपा के पास हैं, जहां से जीत की हैट्रिक लगाई गई है।

इन 8 सीटों पर लग चुकी है जीत की हैट्रिक

इनमें दरभंगा, मधुबनी, पश्चिम चंपारण, पटना साहिब, पूर्वी चंपारण और शिवहर की सीट है। कांग्रेस ने मोदी लहर में भी किशनगंज से जीत की हैट्रिक लगाई है। नालंदा से जदयू ने रिकार्ड लगातार पांच बार जीत दर्ज की है।

इस बार भाजपा जीत की हैट्रिक वाली छह में पांच सीटों पर ही दांव लगा रहा है। शिवहर की जीती सीट उसने जदयू को दे दी है, जहां से लवली आनंद चुनाव लड़ेंगी। राजद की ओर से प्रतिद्वंद्वी कौन होगा, यह अभी तय नहीं है। दरअसल, हैट्रिक जीत वाली आठ सीटों पर चौथे से सातवें चरण में चुनाव है।

राजग ने सभी आठ सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए हैं, जबकि महागठबंधन ने सात सीटों पर अभी उम्मीदवार ही तय नहीं किए हैं। भाकपा-माले ने नालंदा सीट से जदयू के कौशलेंद्र कुमार के विरुद्ध पालीगंज के विधायक संदीप सौरभ को टिकट दिया है।

राधामोहन, संजय और कौशलेंद्र की नजर चौथी जीत पर

पूर्वी चंपारण सीट से भाजपा के राधामोहन सिंह, पश्चिमी चंपारण सीट से भाजपा के संजय जायसवाल और नालंदा सीट से जदयू के कौशलेंद्र कुमार लगातार तीन बार से सांसद हैं। तीनों इस बार फिर मैदान में हैं और चौथी जीत पर नजर लगाए हुए हैं। पूर्वी चंपारण सीट परिसीमन से पहले मोतिहारी सीट थी जिस पर राजद के अखिलेश प्रसाद सिंह सांसद थे।

वर्ष 2009 में पूर्वी चंपारण सीट बनने के बाद से भाजपा के राधामोहन सिंह लगातार चुनाव जीत रहे हैं। पश्चिमी चंपारण सीट भी परिसीमन के बाद से भाजपा के कब्जे में है। पहले यह बेतिया सीट थी जिस पर राजद के रघुनाथ झा सांसद थे।

वर्ष 2009 में पश्चिमी चंपारण सीट बनी तब से संजय जायसवाल सांसद हैं। नालंदा सीट जदयू का सबसे मजबूत गढ़ है। पिछले पांच बार से जदयू के उम्मीदवार जीत रहे हैं। 2009 से 2019 तक लगातार तीन बार कौशलेंद्र कुमार सांसद हैं। 2004 में नीतीश कुमार सांसद रहे थे। इसके पूर्व 1996, 1998 में समता पार्टी और 1999 में जदयू के टिकट पर जार्ज फर्नांडीस सांसद रहे हैं।

रविशंकर, गोपालजी और अशोक की नजर दूसरी जीत पर

किशनगंज सीट पर तीन चुनावों से कांग्रेस का कब्जा है। दो बार असरारुल हक कासमी जबकि वर्तमान में मो जावेद कांग्रेस सांसद हैं। कांग्रेस ने 2009 में यह सीट राजद के तस्लीमुद्दीन से छीनी थी। दरभंगा सीट भाजपा ने 2004 में राजद के अली अशरफ फातमी से छीनी। 2009 और 2014 में कीर्ति आजाद और 2019 में गोपालजी ठाकुर सांसद चुने गए।

मधुबनी सीट भाजपा ने 2004 में कांग्रेस के शकील अहमद को हराकर छीनी। 2009 और 2014 में हुकूमदेव नारायण यादव जबकि 2019 में अशोक कुमार यादव सांसद चुने गए। परिसीमन के बाद पटना साहिब सीट बनी जो भाजपा का गढ़ है।

तब राजद के टिकट पर जीते रामकृपाल यादव को हराकर भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा ने 2004 में सीट छीनी थी।2009 में फिर शत्रुघ्न सिन्हा जीते जबकि 2014 में भाजपा से ही रविशंकर प्रसाद विजयी हुए। शिवहर सीट पर तीन बार से भाजपा की रमा देवी सांसद रहीं मगर इस बार टिकट कट गया है। भाजपा ने गठबंधन के साथी जदयू को यह सीट दे दी है, जहां से लवली आनंद अपनी किस्मत आजमा रही हैं।

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