23 मैच खेले हैं धौनी ने बिहार के लिए, यहां 60 साल पहले खेला गया था पहला रणजी
बिहार को पहले रणजी मैच की मेजबानी आज से 60 साल पूर्व 1958 में मिली थी। पटना के गांधी मैदान में यह मैच खेला गया था। महेंद्र सिंह धौनी ने भी बिहार के लिए 23 मैच खेले हैं।
पटना, अरुण सिंह। 20 साल बाद बिहार की टीम बुधवार को सिक्किम के खिलाफ अपने घर में रणजी मैच खेलने उतरी है। इसके पूर्व 1997-98 सत्र में उसने बड़ौदा के खिलाफ मोइनुल हक स्टेडियम में अपना अंतिम मुकाबला खेला था। वैसे बिहार को पहले रणजी मैच की मेजबानी आज से 60 साल पूर्व 1958 में मिली थी।
रैलियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए मशहूर पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में यह मैच जनवरी माह में खेला गया था। तब न कोई बापू की मूर्ति वहां थी और न ही कोई मेला-ठेला लगता था।
बीच मैदान में चारों तरफ झंडे लगाकर 65 गज की बाउंड्री बनाई गई थी, जिसके किनारे मैदान पर बैठकर मैच देखने वालों का हुजूम लगा था। बहरहाल घर में बिहार का आगाज खराब रहा और बंगाल के खिलाफ उस मुकाबले को उसने एक पारी 26 रन से गंवा दिया।
अगले साल 1959 में गांधी मैदान को दोबारा मेजबानी मिली। इस बार बिहार ने ओडिशा को आठ विकेट से हराया और इसके साथ ही इस मैदान से उसने विदाई भी ली। 1968 में मोइनुल हक स्टेडियम बनने के बाद तीसरी बार बिहार को रणजी के आयोजन कराने का गौरव हासिल हुआ। तब से लेकर अब तक मोइनुल हक स्टेडियम में ही रणजी मुकाबले हो रहे हैं। इस दौरान बिहार की टीम ओडिशा और असम पर भारी पड़ी, लेकिन बंगाल से वह कभी पार नहीं पा सकी।
1970 के जनवरी माह में एक बार फिर बंगाल सामने था, जिसमें उसे एक पारी और 123 रनों से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। उसी साल दिसंबर में बिहार का सामना ओडिशा से हुआ, जिसे उसने पारी और 135 रनों से जीता। तीन साल बाद 1973 में बिहार को अपने घर में खेलने का मौका मिला। दिसंबर माह में हुए उस मुकाबले में असम की टीम सामने थी, जिसे बिहार ने नौ विकेट से अपने नाम किया।
1976 में तीसरी बार ओडिशा की मेहमाननवाजी करने का मौका बिहार को मिला, जिसमें उसने विपक्षी पर अपना वर्चस्व कायम रखते हुए एक पारी और 226 रनों से जीत हासिल की। बिहार की घर में यह आखिरी जीत थी। तब से लेकर अब तक या तो वह हारा है या फिर मैच ड्रा रहे हैं।
23 मैच खेले हैं धौनी ने बिहार के लिए
टीम इंडिया के श्रेष्ठतम कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धौनी संजय गांधी स्टेडियम में चौके-छक्के लगा चुके हैं। बिहार की ओर से वे 23 रणजी मैच भी खेल चुके हैं। इसके बावजूद उन्हें अपने घर में खेलने का अवसर नहीं मिला। धौनी ने जब 1999 में रणजी खेलना शुरू किया तो बिहार का विभाजन हो चुका था और वे झारखंड जा चुके थे।
हालांकि, तब से लेकर 2003-04 सत्र तक झारखंड की टीम बिहार के नाम पर खेलती थी और धौनी उसका हिस्सा रहे। साल 2000 में बिहार की ओर से धौनी ने अपने रणजी करियर का पहला नाबाद शतक (114 रन) कोलकाता में बंगाल के खिलाफ बनाया था।
इसके बाद उन्होंने जमशेदपुर और रांची में दो बार 96 रनों की पारी भी खेली। 2005 में बिहार को दरकिनार कर बीसीसीआइ ने झारखंड को पूर्ण मान्यता दे दी और इसके साथ ही धौनी अपने राज्य से हमेशा के लिए जुदा हो गए।