बिहार: AES पर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के बचाव में उतरे CM नीतीश कुमार, विपक्ष को दिया ये जवाब

बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के दूसरे दिन एईएस से मौत को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया। उसने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का इस्तीफा मांगा। सीएम नीतीश ने मंगल पांडेय का बचाव किया।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 01 Jul 2019 02:04 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jul 2019 10:37 PM (IST)
बिहार: AES पर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के बचाव में उतरे CM नीतीश कुमार, विपक्ष को दिया ये जवाब
बिहार: AES पर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के बचाव में उतरे CM नीतीश कुमार, विपक्ष को दिया ये जवाब
पटना [स्‍टेट ब्‍यूरो]। बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र की कार्यवाही के दौरान एक्‍यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) या चमकी बुखार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार ने सदन में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का बचाव किया। साथ ही एईएस से काफी संख्या में हुई बच्चों की मौत पर संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों में जो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं है, इतनी संख्या में बच्चों की मौत हो गई है, उसके प्रति हम सिर्फ शोक प्रकट नहीं कर सकते। यह बहुत ही गंभीर मामला है। 
जागरूकता से ही बचेगी बच्चों की जान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर में एईएस से हो रही बच्चों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। मानसून सत्र के दूसरे दिन विधानसभा में एईएस से बच्चों की मौत पर विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार पूरी तरह संवेदनशील है।
एईएस से बचाव के लिए धन की नहीं होगी कमी
उन्होंने बच्चों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि दुख व्यक्त करना ही काफी नहीं होगा। बल्कि, हमें भविष्य की चिंता भी करनी होगी। एईएस से बचाव के लिए जितने पैसे की जरूरत पड़ेगी, दिया जाएगा। इस बजट से काम नहीं चलेगा तो अनुपूरक में व्यवस्था की जाएगी।
बीमारी के कारणों पर रिसर्च जारी
मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि एईएस से इस बार बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई है। हम पता लगा रहे हैं कि यह बीमारी होती क्यों है। वर्ष 2014 से ही रिसर्च जारी है। अभी तक अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि खाली पेट लीची खाने की वजह से बच्चों को यह बीमारी होती है।
सामाजिक-आर्थिक सर्वे जरूरी
मैंने अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों से मुलाकात की। सबसे बात की। मैंने पाया कि ज्यादातर पीडि़त गरीब परिवारों से हैं और उनमें भी बच्चियों की संख्या अधिक है। ऐसे में मुझे लगता है कि इसका सामाजिक-आर्थिक सर्वे जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है कि आखिर क्या वजह है कि यह बीमारी गरीबों को ही चपेट में ले रही है। रिपोर्ट के आधार पर कार्य योजना बनाकर काम होगा।
चुप नहीं बैठे हम, लगातार हो रहा काम
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चुप नहीं बैठे हैं। हमने कई बैठकें की हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दौरा किया। जागरूकता पर काम भी किया जा रहा है। संयुक्त कमेटी बनाई जा रही है। 2015 में एम्स पटना में विस्तृत चर्चा की गई थी। तीन घंटे तक चली इस बैठक में मौत की वजहों पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय थी। किसी ने लीची को जिम्मेवार बताया तो किसी ने कुछ और कहा। एक ऐसी ही रिपोर्ट अमेरिका भी भेजकर जांच कराई गई। लगातार जागरूकता अभियान के चलते ही पिछले कुछ वर्षों में एईएस की कम घटनाएं हुईं, किंतु इस बार फिर से ज्यादा घटनाएं हो गई हैं।
अस्पतालों का होगा उन्नयन
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि मुजफ्फरपुर अस्पताल को 2500 बेड का बनाएंगे। अभी 1500 बेड का बना लें। मैंने खुद भी मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) का दौरा कर पीडि़तों से मुलाकात की है। पीडि़त लोगों में ज्यादा लड़कियां हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि गया के अस्पताल का भी उन्नयन किया जाएगा। उसे 15 सौ बेड का बनाया जाएगा। डीपीआर तैयार करने का आदेश दे दिया गया है। जितना पैसा लगेगा, लगाएंगे।
जागरूकता पर सबकी राय लेंगे
मुख्यमंत्री ने जागरूकता पर सबकी राय लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह सरकार का मामला नहीं है। बल्कि, सामूहिक जिम्मेवारी है। सदन के बाहर भी सदस्यों के साथ बैठक करके एक-एक क्षेत्र की समस्या की जानकारी ली जाएगी। कैसे गरीब परिवारों का जीवन स्तर में सुधार लाया जाए और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण की समस्या से निजात पाई जाए। हर घर नल के जल के दुरुपयोग का जिक्र करते हुए कहा कि गांवों में लोग इसी पानी से भैंसों को नहला रहे हैं। खेत पटा रहे हैं। यह भयानक संकट का संकेत है।
बिहार में 94 फीसद टीकाकरण
मुख्‍यमंत्री ने कहा कि गया में उन्‍होंने अधिकारियों से जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) के बारे में पूछा। बिहार में चार जिलों को छोड़ कर सभी में टीकाकरण हुआ है। लोगों की मौजूदा हालत में सुधार करना हमारी पहली प्राथमिकता है। बिहार में 94 फीसद टीकाकरण हो चुका है, लेकिन, हमारा लक्ष्य 100 फीसद करने का है।
सरकार को भयानक सूखे की आशंका
कमजोर मानसून को लेकर मुख्‍यमंत्री ने राज्‍य में भयानक सूखे की आशंका भी जताई। कहा कि हमारी सरकार पूरी तैयारी कर रही है। प्राकृतिक आपदाएं हमारे लिए चिंता की बात हैं। मौसम के बारे में कोई नहीं जानता। बारिश नहीं हो रही है, लेकिन वज्रपात से लोग मारे जा रहे हैं। इस बार लू से भी बड़ी संख्या में मौत हुई है।
 
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