Bihar Assembly Election 2020: कभी नीतीश का मुद्दा रहे विशेष राज्‍य और डीएनए को अब राजद दे रहा हवा, पढि़ए बिहार चुनाव के दिलचस्‍प मुद्दे

Bihar Assembly Election 2020 2015 में गठबंधन का स्वरूप अलग था। जदयू-भाजपा आमने-सामने थे नतीजा कई तरह की तल्ख बयानबाजी हुई थी। इस बार दोनों साथ हैं मगर राजद उन्हीं बयानों को आधार बनाकर जीत की राह बनाने में जुटा है।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 04:09 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 10:09 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: कभी नीतीश का मुद्दा रहे विशेष राज्‍य और डीएनए को अब राजद दे रहा हवा, पढि़ए बिहार चुनाव के दिलचस्‍प मुद्दे
2015 के विधान सभाा की फाइल फोटो, जब नीतीश और लालू साथ थे।

पटना, अरुण अशेष। Bihar Assembly Election 2020: राजनीति में कुछ भी भुलाया नहीं जाता। समय आने पर उसका इस्तेमाल होता है। इस बार के विधानसभा चुनाव (Assembly Poll) में भी यही हो रहा है। 2015 में गठबंधन (Alliance) का स्वरूप अलग था। जदयू-भाजपा (JDU-BJP) आमने-सामने थे, जदयू महागठबंधन (Grand Alliance) का हिस्‍सा था, नतीजा कई तरह की तल्ख बयानबाजी हुई थी। इस बार चुनाव में दोनों पार्टी साथ हैं, मगर राजद (RJD)  उन्हीं बयानों को आधार बनाकर हमला कर रहा है।  पिछले विधानसभा चुनाव के मुद्दे और बयान इस बार फिर चर्चा में आ गए हैं।

बीजेपी यानी बड़का झूठा पार्टी था तो नीतीश के डीएनए पर भी सवाल उठा

राजधानी समेत राज्य भर में टंगे बैनर-पोस्टर (Banner-Poster)  तो नए हैं, मगर उनमें से कई पर लिखा नारा (slogan) और भाषण 2015 के चुनाव का है। अतीत में इनमें से कुछ का उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने  महागठबंधन में शामिल जदयू के लिए किया था तो दूसरे गठबंधन में रहने के चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी भाजपा के लिए कटु शब्दों का प्रयोग किया था। उन्होंने बीजेपी का फुल फॉर्म बताया था-बड़का झूठा पार्टी। दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के डीएनए पर सवाल उठाया था। आम नागरिकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। चुनाव अभियान में इसे बिहार की अस्मिता पर प्रहार बताया गया। जदयू ने बाजाप्ता इसके लिए अभियान चलाया। कार्यकर्ताओं के बाल लिफाफे में बंद कर केंद्र सरकार को भेजे गए। कहा गया कि लगे हाथ बिहार के लोगों के डीएनए की जांच कर ही लीजिए। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा को इस मुददे को उठाने का अफसोस भी हुआ। लेकिन, कुछ किया नहीं जा सकता था। इस चुनाव में डीएनए का मुद्दा फिर उठाया गया है। इसे जदयू नहीं, विरोधी राजद उठा रहा है। हालांकि प्रायोजक के तौर पर किसी का नाम नहीं है। फिर भी लोग मान रहे हैं कि यह राजद की प्रस्तुति हो सकती है।

ऑडियो-वीडियो कोलाज बना रहा राजद

राजद 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान परस्पर विरोधी के नाते दिए गए नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के वक्तव्यों का कोलाज बनाने जा रहा है। यह ऑडियो, वीडियो और बैनर-पोस्टर की शक्ल में हो सकता है। इसमें वह मुख्यमंत्री के भाषण के उस अंश को भी शामिल कर रहा है, जो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की तारीफ में कहे गए थे। मालूम हो कि 2015 के चुनाव में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार बड़े और छोटे भाई की भूमिका में थे। लालू ने नीतीश का राज तिलक भी किया था।

कहां गया विशेष राज्य

पुरानी बातों को चुनावी मुद्दा बनाने की मुहिम में विशेष राज्य की मांग भी शामिल है। यह कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रिय विषय था। 2010 से 2017 तक वे इस मांग पर जोर देते रहे। इसके लिए जदयू ने हस्ताक्षर अभियान चलाया। दिल्ली और पटना में रैलियां कीं। 2015 के विधानसभा चुनाव में यह महागठबंधन का मुद्दा था। 2017 में महागठबंधन से अलगाव के साथ यह मुद्दा धीरे-धीरे नेपथ्य में चला गया। अब तो इसकी चर्चा भी नहीं होती है। राजद 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए से यह सवाल पूछ रहा है कि विशेष राज्य के मुददा का क्या हुआ। इस थीम पर भी पोस्टर-बैनर बनाने की तैयारी है।

विशेष दर्जा बनाम विशेष पैकेज

एनडीए और खासकर भाजपा को अहसास है कि 2015 के चुनावी मुद्दे उसका पीछा कर रहे हैं। वह विशेष राज्य की मांग की चर्चा नहीं कर रही है। हां, विशेष पैकेज की चर्चा जोर-शोर से कर रही है। भाजपा कह रही है कि उस विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के लिए सवा लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का वादा किया था। उसे पूरा कर दिया गया है। इस क्रम में वह उन तमाम योजनाओं की गिनती करा रही है, जो पांच वर्षों के दौरान केंद्र की आंशिक या पूर्ण राशि से राज्य में कार्यान्वित हुईं।

नीतीश जैसे सहयोगी हों तो....

नीतीश कुमार की तारीफ करने में भाजपा के बड़े नेता कोई कंजूसी नहीं कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले भी नीतीश की नेतृत्व क्षमता की तारीफ करते रहे हैं। इधर, इन बड़े नेताओं की तुलना में कुछ अधिक जोर लगाकर प्रधानमंत्री भी नीतीश की तारीफ करने लगे हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने असंभव को संभव करने की प्रधानमंत्री की क्षमता साबित करने के लिए नारा दिया था-मोदी है तो मुमकिन है। बिहार चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने इस नारा को मुख्यमंत्री के साथ जोड़ दिया-नीतीश जैसे सहयोगी हों तो कुछ भी संभव है। प्रधानमंत्री के इस कथन का उपयोग भी बैनर में किया गया है।

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