कहीं पान-मखान तो कही बजरी, भाई-बहन का रिश्ता और भैया दूज

बिहार में भैया दूज मनाने की अलग-अलग परंपरा है लेकिन बहन और भाई के प्यार का यह त्योहार अनोखा है। कहीं भाई को श्राप देने की परंपरा है तो कहीं पान मखान मिठाई खिलाने की।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Tue, 01 Nov 2016 09:28 AM (IST) Updated:Tue, 01 Nov 2016 10:51 PM (IST)
कहीं पान-मखान तो कही बजरी, भाई-बहन का रिश्ता और भैया दूज

पटना [काजल]। भारत विभिन्नताओं से भरा देश है। सभी प्रांत की अपनी विशेषताएं हैं। हर प्रांत के तीज-त्योहार भी अलग-अलग हैं। अभी त्योहारों का मौसम चल रहा है। इन त्योहारों में भाई बहन के प्यार का मिठास लिए एक पर्व मनाया जाता है जिसे 'भाई दूज' कहते हैं।

यह त्योहार अलग-अलग जगहों पर अलग-्अलग तरीके से मनाया जाता है लेकिन त्योहार जिस विधि से मनाएं उसमें बसा तो होता है बस भाई -बहन का प्यार ही। कार्तिक मास की द्वितीया को भैया दूज मनाया जाता है। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव को मजबूती देना है।

बिहार में भैया दूज की अलग-अलग परंपरा

बिहार में भैया दूज को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। मिथिलांचल में इसे भ्रातृ द्वितीया या भरदुतिया कहते हैं। बहन अपने भाई की लंबी आयु की कामना करते हुए भाई को टीका लगाती हैं।

टीका लगाने के बाद उसके हाथ में पान सुपारी डालकर भगवान से प्रार्थना करती हैं कि हे भगवान जैसे यम ने यमुना की प्रार्थना सुनी वैसे ही आप मेरी भी प्रार्थना सुनिए और मेरे भाई पर आने वाले हर संकट को दूर कर दीजिए। मेरे भाई को दीर्घायु कीजिए।

वहीं भाई दूज में बिहार के कुछ इलाकों में गोधन कूटने की परंपरा है। यह एक अजीब सी बात है कि गोधन कूटने के बाद बहनें भाई को पहले श्राप देती हैं फिर प्रायश्चित करते हुए बहनें अपनी जीभ पर कांटे चुभाती हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि यम द्वितीया के दिन भाइयों को गालियां व श्राप देने से उन्हें यम (मृत्यु) का भय नहीं रहता।

क्या है गोधन कूटने की परंपरा

इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है। गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं। स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। दोपहरपर्यन्त यह सब करके बहन भाई पूजा विधान से इस पर्व को प्रसन्नता से मनाते हैं।

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भैया दूज के दिन बहनें पहले क्यों देती हैं भाई को श्राप

राजा पृथु के पुत्र की शादी थी। उसने अपनी विवाहिता पुत्री को भी बुलाया। दोनों भाई बहन में खूब स्नेह था। जब बहन भाई की शादी में शामिल होने आ रही थी, तो रास्ते में उसने एक कुम्हार दंपति को बातें सुना। वे कह रहे थे कि राजा कि बेटी ने अपने भाई को कभी गाली नहीं दी है। वह बारात के दिन मर जाएगा। यह सुनते ही बहन अपने भाई को कोसते हुए घर गई।

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बारात निकलते वक्त रास्ते में सांप, बिच्छू जो भी बाधा आती उसे मारते हुए अपने आंचल में डालते गई। वह घर लौटी तो वहाँ यमराज पहुँच गए। यमराज भाई के प्रति बहन...यमराज भाई के प्रति बहन के स्नेह को देखकर प्रसन्न हुए और कहा कि यम द्वितीया के दिन बहन अपने भाई को गाली व श्राप दे, तो भाई को मृत्यु का भय नहीं रहेगा। भाई दूज पर उत्तर भारतीयों की यह परंपरा सचमुच अनोखी परंपरा है।

बसा है इसमें सिर्फ भाई बहन का प्यार

कहीं-कहीं बहनें इस दिन बेरी पूजन भी करती हैं और भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगलकामना करके तिलक लगाती हैं और इस दिन सभी भाई अपनी बहन के घर ही भोजन करते हैं। कहा जाता है कि यम ने भी अपनी बहन यमुनी के घर भोजन कर उन्हें शाप मुक्त किया था।

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