उम्र कैद की सजा में 15 साल जेल में गुजार चुका बिहार का यह शख्‍स, अपील पर अब तक नहीं हो सका फैसला

Know here every thing about life imprisonment उम्र कैद की सजा का मतलब क्‍या है इस सजा पर अमल कैसे होता है सब कुछ जान‍िए और यह भी जानिए कि भागलपुर के इस शख्‍स की अपील पर 15 साल में भी नहीं हो सका फैसला

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 15 Mar 2021 08:02 AM (IST) Updated:Mon, 15 Mar 2021 08:02 AM (IST)
उम्र कैद की सजा में 15 साल जेल में गुजार चुका बिहार का यह शख्‍स, अपील पर अब तक नहीं हो सका फैसला
उम्र कैद की सजा पाए शख्‍स की अपील पर नहीं हो रहा फैसला। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, निर्भय सिंहI पुराने पैटर्न के मुताबिक उम्र कैद की सजा का मतलब 20 साल का कारावासl सुप्रीम कोर्ट एवं जेल मैनुअल के हिसाब से आजीवन कारावास के सजायाफ्ताओं को हर हाल में कम से कम 14 साल जेल में काटने पड़ेंगे l लेकिन इसके लिए कैदी के चाल-चलन, बीमारी और पारिवारिक मुद्दे को देखा जाता है l अगर कैदी का चाल-चलन ठीक रहा हो और उसका पारिवारिक बैकग्राउंड इस लायक हो तो 14 साल के बाद कभी भी उसे रिहा किया जा सकता है l मुजरिम के अच्छे व्यवहार और अनेक प्रकार की छुट्टियों को देखते हुए गृह विभाग 6 साल तक का परिहार भी दे देती है l तब यह मान लिया जाता है कि जिसे उम्रकैद की सजा मिली है उसने 14 साल जेल में काट कर सजा पूरी कर ली है l

उम्र कैद की सजा कब पक्की मानी जाती है

उम्रकैद के मामलों में निचली अदालत के फैसले को तभी  सही माना जाएगा जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट उस पर अपना मुहर लगा दे अर्थात निचली अदालत ने जो फैसला सुनाया है वह वाकई  त्रुटिपूर्ण नहीं हैl यानी ऊपर की अदालत को सजा कंफर्म करनी पड़ती हैl सामान्यतः निचली अदालत के 80 फीसद फैसलों को हाईकोर्ट नियमानुकूल नहीं पाता है, जिससे मुजरिम को लाभ मिल जाता है l

भागलपुर के स्पेशल सेंट्रल जेल में 31 अगस्त  2005 से उम्र कैद की सजा काट रहे नवल सिंह की कहानी थोड़ी अजीब हैl उक्त कैदी ने जेल में 15 साल काट ली हैl निचली अदालत के फैसले को उन्होंने पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी है, लेकिन हाईकोर्ट से फैसला तय नहीं हो पाया है कि क्या निचली अदालत ने जो उम्र कैद की सजा सुनाई है क्या वह वाकई सही है? हालांकि हत्या के इस सजायाफ्ता कैदी को कभी जमानत तक नहीं मिली हैl 

सजायाफ्ता के करीबी धनंजय कुमार सिंह ने बताया कि जब भी जमानत की फरियाद की जाती है, न्यायाधीश कहते हैं कि जमानत की गुंजाइश नहीं है l केस के मेरिट पर सुनवाई पूरी कर ली जाएगी l लेकिन मेरिट पर सुनवाई की तिथि कब निर्धारित होगी, कहना मुश्किल है l अभी तक वे 15 साल जेल में गुजार चुके हैं l यदि हाई कोर्ट ने निचली अदालत फैसले को गलत पाया तो जेल में बिताए 15 साल के समय की भरपाई कैसे की जाएगी, यह अहम सवाल हैl

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