नीतीश की JDU की तरह अपनी पार्टी RLSP को विस्तार देने निकले उपेंद्र कुशवाहा

नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की तर्ज पर अब रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी पार्टी रालोसपा को विस्तार देंगे। कुशवाहा इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से करेंगे।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 05 Nov 2018 11:36 AM (IST) Updated:Tue, 06 Nov 2018 06:25 AM (IST)
नीतीश की JDU की तरह अपनी पार्टी RLSP को विस्तार देने निकले उपेंद्र कुशवाहा
नीतीश की JDU की तरह अपनी पार्टी RLSP को विस्तार देने निकले उपेंद्र कुशवाहा

पटना [एसए शाद]। जदयू की तर्ज पर ही राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने बिहार से बाहर पार्टी के विस्तार की पहल की है। शुरुआत मध्य प्रदेश से होगी, जहां इस माह की 28 तारीख को होने वाले चुनाव के लिए रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले दिनों 66 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है।

मध्य प्रदेश रालोसपा अध्यक्ष डॉ. राम कुमार सिंह कुशवाहा के मुताबिक, 20 और उम्मीदवारों के नामों को राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मंजूरी प्रदान कर दी है। उनके मुताबिक, रालोसपा मध्य प्रदेश में सौ से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। 

यह पहला मौका होगा जब एनडीए के दो घटक दल-जदयू और रालोसपा, बिना किसी से तालमेल किए चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इससे पूर्व केवल जदयू ही अपने बल पर गुजरात में चुनाव लड़ा था। डॉ. कुशवाहा ने बताया कि मध्य प्रदेश में कुशवाहा मतदाताओं की संख्या बिहार से कुछ अधिक ही है। ऐसे में पार्टी ने कुशवाहा वोटरों को अपने पक्ष में गोलबंदी का फैसला लिया है।

230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा में इस समय चार कुशवाहा विधायक हैं। इनमें से तीन भाजपा से हैं, जबकि एक कांग्रेस की टिकट पर जीते हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को 6.29 प्रतिशत वोट आए थे, जबकि बसपा मध्य प्रदेश में बहुत सक्रिय भी नहीं थी। वहीं निर्दलीय एवं अन्य के हिस्से में 12.45 प्रतिशत वोट आए थे। ऐसे में अगर रालोसपा मेहनत करेगी तो मध्य प्रदेश में वह भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती है। 

मध्य प्रदेश जदयू के अध्यक्ष सूरज जायसवाल के अनुसार, जदयू वहां करीब 150 उम्मीदवार उतारना चाहती है। जदयू की तैयारी छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में भी अपने प्रत्याशी उतारने की है, जबकि रालोसपा फिलहाल मध्य प्रदेश में ही अपनी किस्मत आजमाना चाहती है। रालोसपा की नजर राजस्थान से सटे मध्य प्रदेश के उन इलाकों पर भी है जो पूर्व में समाजवादियों के प्रभाव वाले इलाके रहे हैं। 

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