बिहार में सियासत शुरू: नए दल और सामाजिक संगठन तलाश रहे विकल्‍प

कुछ माह पहले ही गठित हुए कुछ नए दल भी अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे हैं। नए विकल्प की तलाश, आरक्षण के विरोध से लेकर सामाजिक न्याय इनका मुख्य एजेंडा है।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Wed, 14 Feb 2018 08:14 AM (IST) Updated:Thu, 15 Feb 2018 10:41 PM (IST)
बिहार में सियासत शुरू: नए दल और सामाजिक संगठन तलाश रहे विकल्‍प
बिहार में सियासत शुरू: नए दल और सामाजिक संगठन तलाश रहे विकल्‍प

पटना [एसए शाद]। आम चुनाव में एक साल से अधिक का समय रहने के बावजूद प्रदेश में अभी से कई सामाजिक संगठन सक्रिय हो गए हैं। कुछ माह पहले ही गठित हुए कुछ नए दल भी अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे हैं। नए विकल्प की तलाश, आरक्षण के विरोध से लेकर सामाजिक न्याय इनका मुख्य एजेंडा है। कुछ खास वर्ग की अपने पक्ष में गोलबंदी पर भी इनका जोर है।

9 जुलाई, 2017 को श्रीकृष्ण मेमोरियल में ब्रह्मर्षि समाज द्वारा गठित राष्ट्रवादी जन कांग्रेस ने पिछले दो माह में अपनी कई बैठकें की हैं। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पिछले दिनों लालू प्रसाद और कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं से दिल्ली में मिल चुका है। राष्ट्रवादी जन कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शंभूनाथ सिन्हा ने बताया कि पार्टी अक्टूबर में गांधी मैदान में रैली करेगी। 'अपना झंडा, अपना घर' और 'एक संकल्प, खुला विकल्प', हमारा नारा है।

वहीं 5 मार्च, 2017 को श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में ही बनी जनतांत्रिक लोकहित पार्टी ने जिलों में अपना सम्मेलन आरंभ कर दिया है। पार्टी के अध्यक्ष सतीश कुमार बताते हैं कि धर्मनिरपेक्षता एवं सामाजिक न्याय उनका मुख्य मुद्दा है और वे नए विकल्प की तलाश में हैं। उनके मुताबिक, प्रदेश में सभी पार्टियां टेस्टेड हैं, हमें नया विकल्प नहीं मिला तो अकेले अगला विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हमारा फोकस अतिपिछड़ों एवं दलितों पर है। बता दें कि 1994 की मशहूर कुर्मी चेतना महारैली के मुख्य आयोजक सतीश कुमार ही थे।

करीब आठ वर्ष पूर्व बना 'एस-4' नामक संगठन भी फिर से सक्रिय हुआ है। इसे अभी रालोसपा के एमएलसी संजीव श्याम सिंह और राजीव मिश्रा चला रहे हैं। संगठन के पूर्व अध्यक्ष संजय वर्मा के पिछले वर्ष जदयू में वापस लौट जाने के बाद 'एस-4' शिथिल था। संजय वर्मा ने कहा कि संगठन के माध्यम से हमने सवर्णों के आरक्षण की मांग उठाई थी। राज्य सरकार की तरह अब केंद्र सरकार को भी सवर्ण आयोग बनाना चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. सीपी ठाकुर के करीब भागवत शर्मा ने सवर्ण सेना का गठन किया है। ठेकेदारी में आरक्षण के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले दिनों इस संगठन ने प्रदर्शन किया था। भाजपा के ही चंकी पांडेय ने सवर्ण आरक्षण अधिकार समिति बनाई है। यह संगठन भी अभी अपनी गतिविधियां तेज कर रहा है। 'एस-4' से कभी जुड़े रहे रिटायर्ड प्रोफेसर योगेंद्र सिन्हा ने लोकतांत्रिक सर्वजन समाज पार्टी को फिर से जिंदा किया है।

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