EMERGENCY के 44 साल: ...जब जेपी ने बिहार में बनाई थी एक समानान्‍तर जनता सरकार

आज आपातकाल के 44 साल हो गए। स्‍वतंत्र भारत के इन अलोकतांत्रिक काल में जेपी ने सत्‍ता के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंका था। उस दौरान बिहार में उन्‍होंने एक समानान्‍तर सरकार बनाई थी।

By Amit AlokEdited By: Publish:Tue, 25 Jun 2019 10:56 AM (IST) Updated:Tue, 25 Jun 2019 09:33 PM (IST)
EMERGENCY के 44 साल: ...जब जेपी ने बिहार में बनाई थी एक समानान्‍तर जनता सरकार
EMERGENCY के 44 साल: ...जब जेपी ने बिहार में बनाई थी एक समानान्‍तर जनता सरकार

पटना [जेएनएन]। साल 1975 के 25 जून को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने संविधान की धारा 352 तक तहत आपातकाल लागू कर दिया था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह नागरिक अधिकारों के हनन व मनमानी का अलोकतांत्रिक काल था। इस दमन के विरोध में संपूर्ण क्रांति या जेपी आंदोलन की पहली सशक्‍त चिंगारी जयप्रकाश नारायण या जेपी के नेतृत्‍व में बिहार में फूटी थी। कम लोग ही जानते हैं कि आपातकाल की पृष्‍ठभूमि में रहे जेपी आंदोलन के दौरान बिहार में सरकार के समानांतर एक 'जनता सरकार' भी बनाई गई थी।

सूबे की ऐसी पहली जनता सरकार सिवान जिले के पचरूखी प्रखंड में बनी थी। बाद में नवादा, बिहारशरीफ व जुमई में भी जनता सरकारें बनाई गई।

दलविहीन लोकतंत्र चाहते थे लोकनायक

जेपी का मानना था कि भारत में सच्चे लोकतंत्र की जगह दलतंत्र स्थापित हो गया है। राजनीतिक दलों की भूमिका से असंतुष्ट जेपी दलविहीन लोकतंत्र चाहते थे। समाज में आमूल-चूल परिवर्तन कर एक आदर्श व वर्ग-विहीन समाज की स्थापना को ले उन्होंने संपूर्ण क्रांति की अवधारणा भी दी। उन्होंने 9 दिसंबर, 1973 को वर्धा में एक अपील जारी कर देश के युवकों से लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक संगठन बनाने को कहा।

लाठीचार्ज में घायल हुए जेपी

जेपी ने सन् 1974 में बिहार आंदोलन की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में छात्र संघर्ष समिति का गठन किया गया। छात्रों व युवाओं की यह समिति जनसंघर्ष समिति में शामिल बुजुर्गो से समन्वय स्थापित कर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रही थी। इसी क्रम में 2 से 4 नवंबर, 1974 को उनके नेतृत्व में पटना में विधान सभा का घेराव किया गया, जिसपर सरकार की लाठियां चलीं। इसमें जेपी भी घायल हुए।

समानांतर जनता सरकार बनाने कर किया एलान

आहत जेपी ने तब बिहार में सरकार के 'समानांतर जनता सरकार' बनाने का एलान कर दिया। प्रखंड व आगे विभिन्न स्तरों पर बनने वाली इस सरकार के पास प्रशासनिक अधिकार तो नहीं होते, लेकिन वह जनमत के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाती।

जेपी के आह्वान पर अप्रैल, 1974 में इसके लिए पटना में हुई बैठक में सिवान जिला के छात्र संघर्ष समिति के संयोजक जनकदेव तिवारी ने प्रस्ताव दिया कि ऐसी पहली प्रखंड स्तरीय जनता सरकार जिले के पचरूखी में बनाई जाए।

सिवान के पचरूखी हाईस्कूल में बनी 'सरकार'

फिर मई, 1975 में सिवान के राजेंद्र खादी भंडार में दादा धर्माधिकारी, आचार्य राममूर्ति व सिद्धराज ढढ्डा, दिनेश भाई व अमरनाथ भाई आदि की मौजूदगी में एक बैठक हुई। इसमें पचरूखी के गांधी हाई स्कूल में 1 जून, 1975 को जनता सरकार की घोषणा करने का निर्णय लिया गया।

आंदोलकारी कर लिए गए गिरफ्तार

जनकदेव तिवारी के अनुसार इसके बाद आंदोलनकारियों ने लगातार बैठकें कर प्रस्तावित सरकार की रूपरेखा तय की। जेपी अांदोलन के सिलसिले में बनी छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी के संगठन प्रभारी रहे महात्मा भाई ने बताया कि निर्धारित स्थल पर जैसे ही इस सरकार की घोषणा की गई, वहां मौजूद अांदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इनमें कवि नागार्जुन, राज इंक्लाब, शहीद सुहरावर्दी, जहीद परसौनी, जेडए जाफरी आदि हस्तियां भी शामिल थीं। इस दौरान स्थानीय दीपेंद्र वर्मा, जनकदेव तिवारी, कुमार विश्वनाथ, हैदर अली, गंगा विशुन साह, मैथिली कुमार श्रीवास्तव, नयन कुमार, रमेश कुमार व अशोक राय सहित महात्मा भाई भी गिरफ्तार किए गए थे।

अन्य जगह भी बनीं जनता सरकारें

महात्मा भाई के अनुसार आगे 15 जून, 1975 को नवादा के कौवाकोल व 17 जून को बिहारशरीफ के एकरंगसराय में प्रखंड स्तरीय जनता सरकारें बनीं। फिर 23 जून को जमुई में आचार्य राममूर्ति के नेतृत्व में भी ऐसी सरकार बनी। इसके बाद आपातकाल की घोषणा के साथ जयप्रकाश गिरफ्तार कर लिए गए।

1977 में बनी जनता पार्टी की सरकार

आपातकाल के बाद सन् 1977 के लोक सभा चुनाव में उन्होंने जनता पार्टी की सरकार को बनवाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन जेपी अपने सिद्धांतों को अमली जामा पहनाने के लिए अधिक दिनों जीवित नहीं रह सके। सन् 1902 के 11 अक्टूबर को सिताब दियारा में जन्में जेपी की 8 अक्टूबर, 1979 को मृत्यु हो गई।

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