बिहार में भी बनेगी भाजपा की सरकार: शाहनवाज

पटना। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने महाराष्ट्र एवं हरियाणा में भाजपा को बहुमत मिलने क

By Edited By: Publish:Thu, 16 Oct 2014 04:52 PM (IST) Updated:Thu, 16 Oct 2014 04:52 PM (IST)
बिहार में भी बनेगी भाजपा की सरकार: शाहनवाज

पटना। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने महाराष्ट्र एवं हरियाणा में भाजपा को बहुमत मिलने का दावा करते हुए कहा कि बिहार में भाजपा की सरकार बनना तय है। मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका फैसला समय आने पर पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगा। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह दोषियों के जमानतदार बन गए हैं।

हुसैन ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा, दोनों जगहों पर लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास बढ़ा है। उन्होंने ने केवल सामाजिक, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी सफलता अर्जित की है। देश के साथ-साथ विदेशों में भी उनका डंका बज रहा है। महाराष्ट्र में तो पार्टी को करीब 160 सीटें मिलने की उम्मीद है। शिवसेना के लिए पार्टी ने दरवाजे बंद नहीं किए हैं। वह भाजपा को छोड़कर गई है, भाजपा ने उसे नहीं छोड़ा है।

भाजपा नेता ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में सूबे में एनडीए को दो-तिहाई मत मिले, जबकि उससे ठीक पहले हुए उपचुनाव के बाद विरोधी पता नहीं क्या-क्या कह रहे थे। इस बार भी हाल में हुए चुनाव के बाद विरोधी इतरा रहे हैं। भाजपा के एनडीए से अलग होने के बाद सरकार की साख गिरी है। अपराध बढ़ा है। 1,अणे मार्ग के अलावा सत्ता के अलग अलग 'मार्ग' हो गए हैं। जब सत्ता के अलग-अलग मार्ग होंगे तो जाहिर है कि सब कुछ रास्ते से भटक जाएगा। नीतीश कुमार प्रचार अभियान के लिए हरियाणा गए, लेकिन उनकी सभाओं में 500 से अधिक लोग नहीं दिखे। लालू प्रसाद और ओमप्रकाश चौटाला का साथ देकर नीतीश कुमार ने साबित कर दिया है कि वह दोषियों के जमानतदार हो गए हैं। संवाददाता सम्मेलन में संजय मयूख एवं संजय टाइगर भी मौजूद थे।

अल्पसंख्यकों के लिए अलग नीति नहीं

शाहनवाज हुसैन ने कहा कि भाजपा पर भले ही सांप्रदायिकता का आरोप लगता हो, लेकिन पार्टी संप्रदाय या जाति की राजनीति नहीं करती है। हमारी अल्पसंख्यकों के लिए भी वही नीति होगी जो बहुसंख्यकों के लिए है। खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले नेताओं को जब राज संभालने का मौका मिलता है तो उन्हें धर्मनिरपेक्षता याद नहीं रहती। सभी को साथ लेकर नहीं चलते हैं।

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