''जब तक अठरह बरस न होई, तब तक शादी न रचइह पापा जी.''

अकबरपुर प्रखंड के फरहा चमरटोली रेलवे कालोनी राजा देवर और चौधरी टोला में गीत-संगीत और नृत्य के माध्यम से नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन ग्रामीण गौरव विकास दूत के द्वारा किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 01 Jul 2022 11:12 PM (IST) Updated:Fri, 01 Jul 2022 11:12 PM (IST)
''जब तक अठरह बरस न होई, तब तक शादी न रचइह पापा जी.''
''जब तक अठरह बरस न होई, तब तक शादी न रचइह पापा जी.''

जागरण संवाददाता, नवादा: अकबरपुर प्रखंड के फरहा चमरटोली, रेलवे कालोनी राजा देवर और चौधरी टोला में गीत-संगीत और नृत्य के माध्यम से नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन ग्रामीण गौरव विकास दूत के द्वारा किया गया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बाल विवाह, दहेज प्रथा व नशा से मुक्ति को लेकर आमलोगों को जागरूक किया गया। इसके साथ ही इस माध्यम से विभिन्न प्रकार की महत्वाकांक्षी और जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में स्थानीय लोगों को बताया गया।

--- नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से बाल विवाह के मार्मिक ²श्य को किया प्रदर्शित: नुक्कड़ नाटक माध्यम से कलाकारों ने जब कई सामाजिक कुप्रथाओं को चित्रित किया, तो मार्मिक ²श्य को देख लोग अभिभूत हो उठे। कच्ची उम्र में बेटी की शादी के दुष्परिणाम को नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से चित्रित किया गया। जब एक बालिका की शादी 14 वर्ष की उम्र में कर दी जाती है। एक साल के बाद वह गर्भवती हो जाती है। प्रसव के दौरान डाक्टरों ने नवजात बच्ची को तो बचा लिया जाता है, लेकिन अथक प्रयास के बावजूद बच्ची की मां बच्ची को रोते बिलखते छोड़ दुनिया को अलविदा कह जाती है। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से कुछ ऐसे ही ²श्यों से कलाकारों ने आमलोगों को रुबरू कराया। जब कहा कि ''कमे उमरिया में जीवन हमर बचइह ए पापा जी, जब तक अठरह बरस न होई तब तक शादी रचइह न पापा जी.'', तो मार्मिक प्रस्तुति को देख-सुन लोग अभिभूत हो उठे।

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इन कलाकारों की रही सक्रिय भूमिका: सामाजिक कुप्रथाओं को उकेरने को लेकर आयोजित नुक्कड़ नाटक कार्यक्रम में कार्यक्रम लीडर विनोद कुमार सिंह, संतोष कुमार, विक्की, राजकुमार, रंजीत, मुन्नी कुमारी, सपना, निक्की व शंकर पांडेय आदि कलाकारों ने भाग लिया।

--- छोटी उम्र में बेटियों के विवाह के निकलते हैं भयंकर परिणाम: डीपीआरओ सत्येंद्र प्रसाद ने कहा कि बेटियां की शादी छोटी उम्र में न करें। 18 वर्ष के बाद ही करें। खेलने-कूदने की उम्र में शादी कर दी जाती है, जिससे वह पढ़ भी नहीं पाती है। एकाएक घर की जिम्मेवारियां सिर पर आ जाती हैं। बाल विवाह व दहेज प्रथा सामाजिक कुरीतियां हैं। जो बच्चियों को न सिर्फ समान अवसर प्रदान करने की दिशा में बाधक बन रही है, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को भी प्रतिकूल ढंग से प्रभावित करती है। बाल विवाह से कम उम्र में गर्भ धारण करने वाली लड़कियों की समस्याओं को कई गुणा बढ़ा देती है। ऐसी माताएं अस्वस्थ और अविकसित संतानों को जन्म देती हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर बौनेपन और मंद बुद्धि के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने अभिभावकों को बेटियों का विवाह सही उम्र में करने की सलाह दी।

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