पश्चिम चंपारण में बनी थी पुराने कुंओं के जीर्णोद्धार की योजना, नहीं पहनाया जा सका अमलीजामा

जिले के नौतन प्रखंड के दो दर्जन से अधिक कुओं के जीर्णोद्धार की योजना फाइलों में ही धूल फांक रही है। हालत यह है कि लोगों को न तो नल से जल मिला और कुएं भी भर दिए गए हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 01:21 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 01:21 PM (IST)
पश्चिम चंपारण में बनी थी पुराने कुंओं के जीर्णोद्धार की योजना, नहीं पहनाया जा सका अमलीजामा
पश्चिम चंपारण में बनी थी पुराने कुंओं के जीर्णोद्धार की योजना, नहीं पहनाया जा सका अमलीजामा

पश्चिम चंपारण, [प्रदीप दुबे]। पश्चिम चंपारण जिले के नौतन प्रखंड के दो दर्जन से अधिक कुओं के जीर्णोद्धार की योजना बनी थी। लेकिन वह योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई है। इनके क्रियान्वयन की बाबत अभी कुछ भी बताने की स्थिति में अधिकारी नहीं हैं।

कुओं को मिट्टी से भर दिया

नौतन प्रखंड मुख्यालय स्थित दो दर्जन से अधिक कुएं मिट्टी से भर दिए गए। लोग इस वजह से चुप रहे कि अब नल से जल मिलने वाला है तो कुआं किस काम के। लेकिन अब लोगों का मोह भंग हो चुका है। न तो नल से जल मिला और कुएं भी भर दिए गए।

कुओं के रख-रखाव को सजग नहीं

ग्रामीण रामचंद्र प्रसाद, नागेंद्र सिंह, ओम प्रकाश कुमार का कहना है कि कुओं का अस्तित्व समाप्त हो गया है। इनको बचाने के लिए अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने कोई पहल नहीं की।

मनरेगा से सफाई अभियान खोखला साबित

एक तरफ जहां सरकार मनरेगा योजना के तहत नदी ,तालाब,पोखरा व कुओं की सफाई कराने की घोषणा कर इस योजना में लाखों-करोडों रुपये खर्च कर रही है तो दूसरी ओर प्रखंड मुख्यालय में कचरे से भर चुके कुएं सरकार की योजना का पोल खोल रहे हैं। प्रखंड मुख्यालय स्थित कुंओं को कचरा डालकर पिछले चार वर्ष में भर दिया गया। लेकिन अधिकारी मौन रहे।

कुएं का पानी पीने से कतरा रहे

80 वर्षीय रामनगीना प्रसाद कहते हैं कि बचपन से लेकर जवानी तक कुआं का पानी पीया। कभी कोई बीमारी नहीं हुई। अब बच्चोंं ने घर में चापाकल गड़वा दिया। अब मैं भी चापाकल का हीं पानी पीता हूं। क्योंकि गांव के कुआं का अस्तित्व खत्म हो गया। एक समय था जब सभी ग्रामीण कुएं का ठंडा पानी पीकर निरोग हुआ करते थे। आज लोग कुएं का पानी पीने से कतरा रहे हैं। पहले हर गाँव मे दो-चार कुएं हुआ करते थे और लोग उसके पानी का उपयोग खाना बनाने से लेकर नहाने ,पीने व सिंचाई करने में किया करते थे। आज समय ऐसा आ गया है कि हर गांव का कुआं अब समाप्ति के कगार पर ह।

कुओं का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा

बीडीओ निभा कुमारी कहती हैं कि सरकारी दिशा निर्देश के मुताबिक कुओं का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। शीघ्र ही मनरेगा से इस दिशा में पहल होगी। कई जगह कुओं का अतिक्रमण किए जाने की भी सूचना है। प्रखंड के सभी कुओं का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। 

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