दरभंगा में नाबालिग से दुष्कर्म में दस वर्ष की कैद, देना होगा एक लाख रुपये अर्थदंड

पीड़िता प्रतिकर स्कीम से पांच लाख रुपये भुगतान का आदेश। होली के दिन घर में घुसकर किया था दुष्कर्म। अर्थदंड नहीं जमा नहीं करने पर चार साल अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 12 Apr 2019 03:02 PM (IST) Updated:Fri, 12 Apr 2019 03:02 PM (IST)
दरभंगा में नाबालिग से दुष्कर्म में दस वर्ष की कैद, देना होगा एक लाख रुपये अर्थदंड
दरभंगा में नाबालिग से दुष्कर्म में दस वर्ष की कैद, देना होगा एक लाख रुपये अर्थदंड

दरभंगा, जेएनएन। नाबालिग से दुष्कर्म से संबंधित एक मामले में शुक्रवार को प्रथम एडीजे सह पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश ब्रजेश कुमार मालवीय की अदालत ने केवटी थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी विश्वनाथ महतो को दस वर्ष कठोर कैद की सजा मुकर्रर की है। साथ ही एक लाख रुपये अर्थदंड दिया है। अर्थदंड नहीं जमा नहीं करने पर चार साल अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। गुरुवार को कोर्ट ने दुष्कर्मी अभियुक्त को भादवि की धारा 376 और पाॅक्सो एक्ट की धारा 6 में दोषी घोषित किया था। अदालत ने दोष सिद्ध अभियुक्त के सजा निर्धारण के बिंदु पर सुनवाई एवं निर्णय के लिए शुक्रवार की तिथि निर्धारित की थी।

   फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश मालवीय ने दोनों धाराओं में दस-दस वर्ष का कठोर कारावास और 50-50 हजार अर्थदंड की सजा निर्धारित की। कोर्ट ने पीड़िता को प्रतिकर स्कीम के तहत पांच लाख रुपये सहायता राशि देने का आदेश पारित किया है। इस राशि का भुगतान जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से राज्य सरकार को करना है। पॉक्सो एक्ट के विशेष लोक अभियोजक विजय कुमार पराजित ने बताया कि होली के मौके पर 24 मार्च 2016 को तीन बजे दिन में बारह वर्षीय बालिका दरवाजे पर से अपने घर के अंदर रंग लाने गई थी। उसी समय अभियुक्त ने घर में घुसकर बच्ची से दुष्कर्म किया।

   चिल्लाने पर जब उसकी मां एवं अन्य लोग पहुंचे तो आरोपित फूस की दीवार तोड़कर फरार हो गया। घटना की नामजद प्राथमिकी पीड़िता के पिता ने केवटी थाने में दर्ज कराई। अनुसंधानकर्ता ने 31 अगस्त 2016 को अदालत में अभियुक्त के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया। मामले में अदालत ने 17 अक्टूबर 2016 को अभियुक्त के विरुद्ध संज्ञान लिया। 3 जनवरी 2017 को आरोप का गठन किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में नौ गवाहों की गवाही कराई गई। अंतत: अभियोजन पक्ष अभियुक्त का अपराध साबित कराने में कामयाब हुआ। अभियुक्त घटना के बाद से ही काराधीन था। 

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