2030 तक शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने का लक्ष्य, चिकित्सक व स्टाफ नर्सों का प्रशिक्षण शुरू

2030 तक एक हजार बच्चों के जन्म के मृत्यु दर को बारह पर ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। उपरोक्त बातें दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मणि भूषण शर्मा ने शनिवार को शिशु रोग विभाग में चार दिवसीय एफबीएनसी ट्रेनिंग के उद्घाटन सत्र में ये बातें कही।

By DharmendraEdited By: Publish:Sun, 20 Dec 2020 12:10 PM (IST) Updated:Sun, 20 Dec 2020 12:10 PM (IST)
2030 तक शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने का लक्ष्य, चिकित्सक व स्टाफ नर्सों का प्रशिक्षण शुरू
दरभंगा में प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते चिकित्सक। जागरण

दरभंगा, जागरण संवाददाता। सरकार का शिशु मृत्यु दर घटाने को लेकर गंभीर है। इस काम में किसी भी स्तर पर कमी न रह जाए इसके लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा। 2030 तक एक हजार बच्चों के जन्म के मृत्यु दर को बारह पर ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। उपरोक्त बातें दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मणि भूषण शर्मा ने शनिवार को शिशु रोग विभाग में चार दिवसीय एफबीएनसी ट्रेनिंग के उद्घाटन सत्र में ये बातें कही। अधीक्षक डॉ. शर्मा ने कहा कि भारत में 1000 नवजात शिशुओं में से 23 की मौत हो जाती है। बिहार में 1000 में से 25 बच्चे एक महीना पूरा भी नहीं कर पाते। इसे 2025 तक घटाकर 16 और 2030 तक 12 या इकाई डिजिट में ले जाने का लक्ष्य है। इसके लिए चिकित्सकों और पारा मेडिकल कर्मियों को कड़ी मेहनत करनी है। यह प्रशिक्षण इसलिए ही आयोजित किया गया है। इसके लिए हमें लगातार प्रशिक्षण में बताए गए नुस्खे को मरीजों के बीच लागू करना है।

ट्रेनिंग में 11 जिलों के 24 डॉक्टर एवं नर्स प्रतिभागी ले रहे भाग 

अधीक्षक ने कहा कि इस ट्रेनिंग में 11 जिलों के 24 डॉक्टर एवं नर्स प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इनमें किशनगंज, अररिया, मधुबनी, वैशाली, मधेपुरा, पुर्णिया, शिवहर, बेगुसराय, सहरसा, दरभंगा और मोतिहारी जिलों के चिकित्सक शामिल हैं। पहले दिन प्रशिक्षणार्थियों को नवजात शिशुओं को कैसे पुनर्जीवित किया जाए, इसका प्रशिक्षण हैंड ऑन पद्धति के द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण कार्य में चार प्रशिक्षक लगाए गए हैं। उनमें डॉ. केएन मिश्रा, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. रिजवान हैदर और डॉक्टर ओमप्रकाश शामिल हैं। चिकित्सकों ने बताया कि सरकार किसी भी कीमत पर नहीं चाहती है कि बच्चों की देखभाल में किसी भी स्तर पर कोई लापरवाही हो। इस कारण से चिकित्सक व कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि, हर स्थिति से निबटा जा सके।

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