CAA के समर्थन में बौद्धिक गो‍ष्ठी का आयोजन, RSS के क्षेत्र प्रचारक बोले-गुमराह करने वालों को बेनकाब करने की जरूरत

सांस्कृतिक उत्थान समिति ने सीएए पर किया गोष्ठी का आयोजन। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक ने कहा- कानून के वास्तविकता से आम लोगों को परिचय कराना दायित्व।

By Murari KumarEdited By: Publish:Sun, 22 Dec 2019 08:35 PM (IST) Updated:Sun, 22 Dec 2019 08:35 PM (IST)
CAA के समर्थन में बौद्धिक गो‍ष्ठी का आयोजन, RSS के क्षेत्र प्रचारक बोले-गुमराह करने वालों को बेनकाब करने की जरूरत
CAA के समर्थन में बौद्धिक गो‍ष्ठी का आयोजन, RSS के क्षेत्र प्रचारक बोले-गुमराह करने वालों को बेनकाब करने की जरूरत

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में संस्कृति उत्थान समिति की ओर से रविवार को आयोजित गोष्ठी  को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने कहा कि यह कानून देश हित में है। इसकी वास्तविकता से आम लोगों को परिचय कराना सभी जागरूक लोगों का दायित्व है। देश को जो लोग गुमराह कर रहे, उन्हें बेनकाब करने की जरूरत है। 

गांधी-नेहरू के सपने को धरती पर उतारने वाला कानून 

इस कानून पर चर्चा करते हुए आगे उन्होंने  कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के सम्मान व अधिकार को लेकर जो सपना महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल या पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, पूर्व मुख्य मंत्री ज्योति बसु, इंद्रजीत गुप्त ने देखा उसे धरती पर उतारने वाला कानून है नागरिकता संशोधन कानून- 2019। 

1950 का नेहरू-लियाकत समझौता

 एक उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सरकार के पहले विधि मंत्री योगेंद्र मंडल ने वहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को देखते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था तथा वहां के हजारों पीडि़त लोगों के साथ भारत आ गए थे। पश्चिम बंगाल में उन्होंने शरण ली थी। वहां के ऐसे ही अल्पसंख्यकों को यहां नागरिकता देने की बात हो रही, जो कहीं से गलत नहीं है। आगे कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौते में धार्मिक अल्पसंख्यकों की पूर्ण सुरक्षा व उन्हें सम्मान प्रदान करना प्रमुख शर्त थी। इस समझौता का भारत ने पालन किया लेकिन पाकिस्तान इसके पालन करने में पूर्ण रूप से विफल है। 

प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए है कानून

हम पहले इस कानून के बारे में पूरी जानकारी लें, उसके बाद ही कोई कदम उठाएं। किसी के बहकावे में न आएं। प्रो. नारायण दास ने कहा कि यह कानून हमारे पड़ोसी देशों में प्रताडि़त अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी को नागरिकता देने के लिए है। यह किसी भारतीय की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है। राजेश जैन ने कहा कि अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी जैन समाज की है वह प्रताडि़त होकर पाकिस्तान से आई है। उनको नागरिकता मिलना कहीं से गलत नहीं हैै।

  मौके पर नागरिकता संशोधन कानून से संबंधित पर्चा का वितरण किया गया। धन्यवाद ज्ञापन वरीय अधिवक्ता गौरीशंकर प्रसाद ने तथा विषय प्रवेश व संचालन चंद्रमोहन खन्ना उर्फ चन्नी ने किया। महाविद्यालय शिक्षक दिव्या प्रियदर्शिनी, श्याम भीमसेरिया, सरदार इंद्रजीत सिंह ने भी गोष्ठी को संंबोधित किया। इसमें प्रांत प्रचारक रामकुमार, डॉ. कुमार शरतेन्दु शरद, डॉ. ममता रानी, प्रो.मनोज ंिसंह, अधिवक्ता अरुण शर्मा, दयाशंकर ठाकुर, प्रवीण सिंह, शिवशंकर साहु समेत बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े गण्यमान्य शामिल हुए। 

chat bot
आपका साथी