स्वास्थ्य विभाग की होगी ऑनलाइन निगरानी, कार्यशैली को पटरी पर लाने की कवायद तेज

अस्पताल में समय से इलाज नहीं होने की शिकायत पर सख्ती। समय से नहीं खुलते आउटडोर। नहीं मिलते है ऑनलाइन विशेषज्ञ। शिकायतों पर स्वास्थ्य विभाग सख्त।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 19 May 2019 01:34 PM (IST) Updated:Sun, 19 May 2019 01:34 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग की होगी ऑनलाइन निगरानी, कार्यशैली को पटरी पर लाने की कवायद तेज
स्वास्थ्य विभाग की होगी ऑनलाइन निगरानी, कार्यशैली को पटरी पर लाने की कवायद तेज

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सरकारी अस्पताल के कर्मियों की कार्यशैली से मरीजों का शत-प्रतिशत इलाज नहीं हो रही है। न समय से आउटडोर, न समय से इमरजेंसी में चिकित्सक व कॉल ही मिलते है। लगातार मिल रही शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग सख्त है। स्वास्थ्य विभाग में काम की अब ऑनलाइन निगरानी होगी। कर्मियों की कार्यशैली को पटरी पर लाने की कवायद तेज कर दी गई है।

  विभाग का मानना है कि सरकारी अस्पताल में मुफ्त चिकित्सा, भर्ती मरीज को भोजन, मुफ्त दवा, कर्मियों को आवास की सुविधा दे रही लेकिन अस्पताल का बेड खाली रहता है। जबकि निजी अस्पताल वाले फीस वसूल रहे लेकिन वहां पर मारामारी। इसके लिए कार्यशैली जवाबदेह है। सरकारी अस्पताल के कर्मियों की कार्यशैली को पटरी पर लाने के लिए अब ऑनलाइन मॉनीटरिंग की कवायद चल रही है।

जीपीएस से जुड़ेगा मोबाइल

स्वास्थ्य विभाग जिले में कर्मियों को काम के दौरान उनके कार्यस्थल की ऑनलाइन मॉनीटरिंग करेगा। इसके लिए विभागीय कवायद चल रही है। सभी डॉक्टर व कर्मियों के मोबाइल में नए एप के जरिए उनके सिम से जीपीएस सिस्टम जुड़ेगा। सेटेलाइट के जरिए लोकेशन का पता कर लिया जाएगा।

बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से प्रयाेग होगा शुरू

पहले चरण में यह प्रयोग राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) से जुड़े आयुष चिकित्सकों के मोबाइल लगाया जाएगा। आरबीएसके के तहत जिले के सभी सरकारी स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों की शत-प्रतिशत स्वास्थ्य जांच करना है। समीक्षा में यह बात सामने आयी कि पिछले वित्तीय वर्ष में 40 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की जांच नहीं हुई। भारत सरकार ने जिले के सरकारी स्कूल के चार लाख 88 हजार 86 बच्चों को आरबीएसके के तहत स्वास्थ्य जांच करने आदेश दिया था। इसमें दो लाख 53 हजार 645 बच्चों को ही जांच हुई। इसमें मात्र 11 हजार बच्चे में ही बीमारी निकली।

  कुपोषण की संख्या काफी कम थी, जबकि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में दस में तीन बच्चे कुपोषण के शिकार है। इसके साथ ही जंक फूड से होने वाली बीमारियों की सही से रिपोर्ट नहीं की  गयी है। इसी तरह ओपीडी में डॉक्टर समय पर नहीं आते है। मैनुअल हाजिरी में निर्धारित समय लिखते हुए अपनी हाजिरी बनाते है। इस नए सिस्टम में सभी डॉक्टरों के मोबाइल नम्बर को फीड करने की जवाबदेही जिला स्वास्थ्य समिति को है।

जिले में जल्द आ जाएगा नया सिस्टम: सीएस

सिविल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने कहा कि अभी निगरानी पोर्टल को स्थानीय स्तर पर डेवल किया जा रहा है। नया सिस्टम जल्द जिले में आ जाएगा। राजधानी में इस पर काम युद्धस्तर पर काम हो रहा है। जिला कार्यक्रम प्रबंधक को निगरानी की जवाबदेही दी गयी है।

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