बैकुंठ चतुर्दशी पर आज इस विधान से पूजा करना होगा कल्याणकारी Muzaffarpur News

Baikuntha Chaturdashi इस तिथि पर जो भी मनुष्य हरि अर्थात भगवान विष्णु और हर अर्थात भगवान शिव की पूजा करता है बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 09:45 AM (IST) Updated:Mon, 11 Nov 2019 09:45 AM (IST)
बैकुंठ चतुर्दशी पर आज इस विधान से पूजा करना होगा कल्याणकारी Muzaffarpur News
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मुजफ्फरपुर, जेएनएन। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह 11 नवंबर, सोमवार को है। पंडित प्रभात मिश्र बताते हैं कि यह त्योहार भगवान शिव और विष्णु के एकाकार स्वरूप को समर्पित है।

देवप्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार माह की नींद से जागते हैं और चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस तिथि पर जो भी मनुष्य हरि अर्थात भगवान विष्णु और हर अर्थात भगवान शिव की पूजा करता है, उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। ऐसा वरदान स्वयं भगवान विष्णु ने नारद जी के माध्यम से मानव जन को दिया था। इस दिन नदी या पवित्र सरोवर में स्नान के बाद नदी या तालाब के किनारे 14 दीपक जलाते हैं। फिर भगवान विष्णु और शिव की आराधना की जाती है।

यदि संभव हो तो शिव और विष्णु जी को कमल पुष्प भी अर्पित करते हैं। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है। संध्या समय स्नानादि के बाद बहते जल में दीपक प्रवाहित किया जाता है। इसे दीपदान कहते हैं। दीप दान करना यदि संभव न हो तो मंदिर में दीपक जलाएं। बुजुर्गों को उपहार देने और जरूरतमंदों की मदद करने से लाभ मिलता है। 

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