इनके भी क्या कहने..आईने में अपनी तस्वीर तलाश रही हैं, मुजफ्फरपुर की मैडम के हर काम के चर्चे ही चर्चे

मुजफ्फरपुर की यह मैडम कुछ दिनों के अंतराल के बाद कंफ्यूज हो जाती हैं। वे जो कर रही हैं वह सही है या नहीं? पहले समाजसेवा कीं और उसके बाद राजनीति में भाग्य आजमाया। कुछ दिनों से व्यवसाय कर रही हैं। कंफ्यूजन का दौर फिर आ गया है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 01 Jul 2022 08:52 AM (IST) Updated:Fri, 01 Jul 2022 08:52 AM (IST)
इनके भी क्या कहने..आईने में अपनी तस्वीर तलाश रही हैं, मुजफ्फरपुर की मैडम के हर काम के चर्चे ही चर्चे
मैडम समाज सेवी के साथ-साथ देश की सबसे बड़ी पार्टी की पदाधिकारी भी हैं। प्रतीकात्मक फोटो

मुजफ्फरपुर, [प्रमोद कुमार]। मैडम ने अपने यात्रा की शुरुआत समाजसेवा से की थी। समाजसेवा के बाद उन्होंने राजनीति की राह ली, अब अपने हुनर के बल पर व्यावसायिक क्षेत्र में उड़ान भर रही हैं। इतना लंबा सफर तय करने के बाद भी मैडम अभी तक खुद को नहीं जान पाई हैं। अब वह खुद को जानना चाहती हैं, इसलिए हर जान-पहचान वालों के आईने में अपनी तस्वीर देखना चाहती हैं। इसके लिए मैडम ने एक प्रयोग किया है। इंटरनेट मीडिया पर जान-पहचान वालों से अपने बारे में विचार मांग रही हैं। उनसे मिले विचारों के आधार पर वह आगे का मार्ग तय करेंगी। मैडम का यह प्रयोग चर्चा में है। मैडम समाज सेवी के साथ-साथ देश की सबसे बड़ी पार्टी की पदाधिकारी भी हैं। भले ही अब वह पार्टी में सक्रिय न हों, लेकिन पार्टी की नीतियों की बड़ी समर्थक हैं। बहरहाल, मैडम अपने अब तक के सफर के बारे में लोगों के विचार जानना चाह रही हैं। अब देखें मैडम का यह प्रयोग क्या रंग लाता है।

हिंदी की सेवा करेंगी डाक्टर मैडम

वैसे तो मैडम डाक्टर हैं, लेकिन समाजसेवा एवं राजनीति के लिए ज्यादा जानी जाती हैं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय महिला संगठनों से भी जुड़ी हैं। राजनीति के मैदान में कुर्सी की लड़ाई तक लड़ चुकी हैं। हालांकि मंत्री-विधायक बन समस्याओं से ग्रस्त शहर के इलाज का उनका सपना पूरा नहीं हो सका। अब डाक्टर मैडम नई भूमिका में हैं। वह बीमारियों का इलाज करने के साथ राष्ट्रभाषा हिंदी की भी सेवा करेंगी। इस सेवा के लिए एक कारपोरेट सेक्टर में भाषा सलाहकार बन गई हैं। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर अपने जानने वालों को इस नई भूमिका की जानकारी दी है। अब मैडम कारपोरेट कल्चर वालों में हिंदी प्रेम का संचार करेंगी। मैडम की इस नई भूमिका की उनके जानने वाले सराहना कर रहे हैं।

साहित्यकार मैडम का वर्षा प्रेम

अपनी परिचर्चा को लेकर मैडम चर्चा में हैं। परिचर्चा में वह लोकगीत एवं वर्षा के बीच संबंध बताएंगी। मैडम वैसे तो शिक्षिका हैं, लेकिन साहित्य एवं भारतीय संस्कृति के पोषण में सालों से लगी हैं। इसके लिए उन्होंने एक संगठन भी बना रखा है। युवक एवं युवतियों को सांस्कृतिक क्षेत्र में जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिला चुकी हैं। इतना ही नहीं, मैडम सप्ताह में दो चार दिन किसी न किसी महापुरुष को नमन करती भी नजर आ जाती हैं। अभी बरसात का मौसम है। शहर की हालत ऐसी है कि लोग बादल देखते ही सहम जाते हैं। वर्षा न होने की दुआ मांगने लगते हैं। इस बीच मैडम की परिचर्चा चर्चा का विषय है। परिचर्चा के दौरान लोकगीतों में वर्षा की तलाश करेंगी। भारतीय संस्कृति में वर्षा का क्या महत्व है शहरवासियों को बताएंगी। जलजमाव के बीच मैडम का वर्षा प्रेम गुदगुदी लगा रही है।

छात्राओं को भारी पड़ा गुस्सा

ज्ञान केंद्र से डिग्री हासिल कर अपने भविष्य को संवारने का सपना देख रही दो छात्राओं को इतना गुस्सा आया कि उनका भविष्य ही खराब हो गया। परीक्षा परिणाम खराब होने से दुखी छात्राएं ज्ञान केंद्र का दौड़ लगा रही थी। अपने भविष्य को संवारने का मौका देने की गुहार लगा रही थी। ज्ञान की कई कुर्सियों की गणेश परिक्रमा करने के बाद भी जब बात नहीं बनी तो दोनों छात्राओं को गुस्सा आ गया। फिर क्या था दोनों ने कुर्सी पर बैठे साहब की नींद तोडऩे को पानी की बौछार कर दी। इसके बाद साहब की नींद तो खुल गई, लेकिन अवसर देने के बाद भी दोनों छात्राओं का भविष्य खराब हो गया। जो अवसर छात्राओं को मिला उसका परिणाम पहले से भी खराब निकला। परिणाम देखने के बाद दोनों छात्राएं कुर्सी को तो कोस ही रही हैं, अपने गुस्सा पर भी अफसोस कर रही हैं। काश, गुस्सा नहीं आया होता तो कुर्सी अपना कमाल नहीं दिखाती।

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