मुजफ्फरपुर का महापाप: TISS की रिपोर्ट को ले बड़े झूठ का खुलासा, जानिए

मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड में टिस की रिपोर्ट मिलने की तिथि को ले बड़े झूठ का खुलासा हुआ है। इससे विभागीय लापरवाही की पोल खुलती दिख रही है। पूरा मामला जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Publish:Tue, 21 Aug 2018 06:10 PM (IST) Updated:Tue, 21 Aug 2018 11:27 PM (IST)
मुजफ्फरपुर का महापाप: TISS की रिपोर्ट को ले बड़े झूठ का खुलासा, जानिए
मुजफ्फरपुर का महापाप: TISS की रिपोर्ट को ले बड़े झूठ का खुलासा, जानिए

मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। बालिका गृह यौन हिंसा मामले में कई स्तरों पर लापरवाही हुई है। इससे समाज कल्याण विभाग व उसके वरीय अधिकारी भी अछूते नहीं। मगर, विभाग अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए अब झूठ बोलता रहा है। इसकी पोल विभागीय कागजात ने खाेल दी है। मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की रिपोर्ट मिलने की असली तिथि का है।

विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद की अध्यक्षता में बीते पांच अप्रैल की बैठक में टिस की रिपोर्ट को एजेंडे में नीचे शामिल किया गया था। इसपर इतनी ही चर्चा हुई कि रिपोर्ट में इंगित कमियों को दूर किया जाए। मगर, कहीं भी प्राथमिकी दर्ज करने की बात नहीं कही गई। मामले ने तूल पकड़ा तो विभाग ने 26 मई को सभी जिलों के सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। इसके बाद ब्रजेश ठाकुर के संरक्षण में चलनेवाले बालिका गृह के खिलाफ 29 मई को प्राथमिकी भी दर्ज की गई।

मगर, यहां विभाग ने एक बात छुपाई। शुद्धि पत्र के माध्यम से टिस की रिपोर्ट 27 अप्रैल को जारी होने की बात कही गई। अब सवाल यह है कि जब यह रिपोर्ट 27 अप्रैल को जारी हुई तो पांच अप्रैल की बैठक में इसपर चर्चा कैसे हुई? जब पांच अप्रैल को ही विभाग के पास इसकी जानकारी थी तो प्राथमिकी का आदेश इतने दिनों बाद क्यों दिया गया?

फंड आवंटन पर उठ रहे सवाल

पांच अप्रैल तक टिस की रिपोर्ट विभाग के पास आने के बाद भी 17 अप्रैल को ब्रजे के अल्पावास गृह को 25 लाख रुपये का फंड आवंटित किया गया। मामले ने जब तूल पकड़ लिया तो विभाग ने आनन-फानन ब्रजेश के एनजीओ 'सेवा संकल्प' को ब्लैक-लिस्टेड कर दिया। विभाग इस बात को लेकर भी कठघरे में था कि मामले की प्राथमिकी होने के बाद भी ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ को पटना में भिक्षुक गृह का टेंडर दे दिया गया था।

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