एक नहीं चार संतान, सभी दिव्यांग, नहीं बन पा रहा आधार कार्ड

मड़वन प्रखंड के बड़कागांव के दो बहनों व दो भाइयों की स्थिति दयनीय। बीमारी के चलते मुड़ गई हैं अंगुलियां। योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 02:51 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 02:51 PM (IST)
एक नहीं चार संतान, सभी दिव्यांग, नहीं बन पा रहा आधार कार्ड
एक नहीं चार संतान, सभी दिव्यांग, नहीं बन पा रहा आधार कार्ड

मुजफ्फरपुर [प्रेम शंकर मिश्र]। एक नहीं चार-चार संतानों का सुख मिला। मगर, दुखों का पहाड़ भी। उम्र बढऩे के साथ-साथ इन बच्चों में दिव्यांगता आनी शुरू हुई। कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं। किसी दवा का असर नहीं। किशोरावस्था तक आते-आते इनकी स्थिति जिंदा लाश की तरह हो गई है। इनकी हाथ और पैर की अंगुलियां इतनी मुड़ गई हैं कि सीधी ही नहीं होतीं। नतीजा, आधार कार्ड नहीं बन रहा। इस कारण दिव्यांगों को मिलने वाले लाभ से भी ये वंचित हैं।

  यह स्थिति है मड़वन प्रखंड के बड़कागांव निवासी ज्योतिषाचार्य धनेश त्रिपाठी के परिवार की। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष में इनके पुरखों ने भाग लिया था। कालापानी की सजा भी हुई। मगर, परिवार को अभी जो 'सजा' मिली है, वह असहनीय है। इनके पुत्र अरविंद कुमार अमर दिव्यांग थे। उनकी चार संतानें दो बेटियां अनु (16), मनु (15) तथा दो बेटे जयकांत त्रिपाठी (14) व देवकांत त्रिपाठी (10) हैं। अरविंद का निधन पांच वर्ष पूर्व हो गया। दिव्यांग पति के निधन के बाद शोभा देवी अब चारों दिव्यांग बच्चों की देखभाल कर रही हैं!       ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी कहते हैं, जन्म के समय सभी ठीक थे। चार से पांच साल की उम्र होते-होते बीमारी के लक्षण दिखने लगे। मुजफ्फरपुर से लेकर दिल्ली तक डॉक्टरों को दिखाया। मगर, कोई लाभ नहीं मिला। अब तो ये नित्यक्रिया भी खुद से नहीं कर पाते। सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक दौड़े। इन बच्चों को लेकर भी वहां गए। मगर, किसी तरह की मदद नहीं मिली। जहां गए आधार कार्ड मांगा जाता है।

लोगों का सामना करने का नहीं बचा साहस

दिव्यांगता झेल रहे ये बच्चे अब लोगों के सामने नहीं आना चाहते। दादा धनेश त्रिपाठी के बुलाने पर चारों भारी मन से सामने आते हैं। सबसे छोटे देवकांत की स्थिति सबसे खराब है। वह ठीक से देख भी नहीं पाता। इन बच्चों का आधार कार्ड बनाने की विशेष व्यवस्था प्रशासन कर दे तो कम से कम योजनाओं का लाभ परिवार को मिल जाएगा। 

  जेनरल फिजीशियन डॉ. नवीन कुमार ने कहा कि दिव्यांग की संतान भी दिव्यांग हो, ऐसा नहीं होता। वे स्वस्थ होते हैं। इन बच्चों में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण लग रहे। समय के साथ मसल्स कमजोर होने से दिव्यांगता आ जाती है। इसका कारगर इलाज नहीं है। अधिक से अधिक इसे कुछ अवधि के लिए टाला जा सकता है। 

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