हेग्रो सिस्टम इस तरह बढ़ाएगा लीची का उत्पादन, किसानों की आय बढ़ेगी

इस सिस्टम से प्रति एकड़ 18 टन लीची उत्पादन होगा। जो दस टन अधिक होगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र कर रहा लीची उत्पादक किसानों को जागरूक।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 08:29 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 08:29 PM (IST)
हेग्रो सिस्टम इस तरह बढ़ाएगा लीची का उत्पादन, किसानों की आय बढ़ेगी
हेग्रो सिस्टम इस तरह बढ़ाएगा लीची का उत्पादन, किसानों की आय बढ़ेगी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। उत्पादन के साथ लीची किसानों की आय बढ़ाने के लिए हेग्रो तकनीक की शुरुआत की गई है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा किसानों को प्रशिक्षित कर इस तकनीक के जरिये लीची का बाग लगाने की पहल जारी है। हेग्रो तकनीक के तहत लीची का बाग लगाने पर 18 टन औसत लीची का उत्पादन होगा। जबकि, अबतक प्रति एकड़ औसत लीची का उत्पादन आठ टन है।

जाहिर है कि हेग्रो तकनीक से 10 टन अधिक लीची का उत्पादन होगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा न केवल मुजफ्फरपुर बल्कि उत्तर बिहार के सभी जिलों में हेग्रो तकनीक के तहत लीची का बाग लगाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित, जागरूक और प्रेरित करने के लिए भी पहल तेज कर दी गई है। किसान इस पद्धति से बाग भी लगा रहे हैं। इसके तहत 20 के बदले 8 फीट की दूरी पर बाग लग रहे हैं। 8 गुना 4 मीटर पर लीची का पौधा लगाने से प्रत्येक एकड़ 40 की जगह 120 पौधे लग रहे हैं। केंद्र द्वारा हेग्रो सिस्टम में बाग लगाने की सलाह के साथ पौधे भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस सिस्टम से लीची के बाग लगाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी के निदेशक निदेशक डॉ. विशालनाथ के मोबाइल नंबर 9431813884 पर संपर्क किया जा सकता है। बताते चलें कि जिले में कोकाकोला कंपनी उन्नति लीची प्रोजेक्ट के तहत लीची के विकास पर काम कर रही है।

जलजमाव से नहीं बर्बाद होंगे लीची के पेड़

बाढ़ और बरसात से लीची के पेड़ अब बर्बाद नहीं होंगे। लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जलजमाव वाले क्षेत्रों में माउंट पद्धति से बाग लगाने की योजना तैयार की है। इसके तहत जिन इलाकों में बाढ़ का पानी 20 दिन तक टिक भी जाता है, वहां लीची के पेड़ बर्बाद नहीं होंगे। माउंट पद्धति के तहत किसान मेड़ पर लीची लगाने के साथ छोटे-छोटे तालाब बनाकर मछली-मखाना का उत्पादन कर सकते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में माउंट सिस्टम से मेड़ बनाकर लीची के पौधे लगवाए जा रहे हैं।

वैकल्पिक खेती के रूप में लीची शामिल

बाढ़ के चलते सूबे की सरकार ने लीची को अब वैकल्पिक खेती के रूप में शामिल कर लिया है। लीची की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रति एकड़ 30 हजार रुपये का अनुदान दे रही है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की पहल पर सरकार ने यह योजना शुरु की की है।

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