बजरी खिला भाइयों को बनाया वज्र

भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक भाई दूज मंगलवार को बड़े ही हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया।

By Edited By: Publish:Wed, 02 Nov 2016 02:04 AM (IST) Updated:Wed, 02 Nov 2016 02:04 AM (IST)
बजरी खिला भाइयों को बनाया वज्र

मुजफ्फरपुर। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक भाई दूज मंगलवार को बड़े ही हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के स्वस्थ व दीर्घायु होने की मंगलकामना करते हुए रोली-अक्षत से तिलक लगाया। उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष दिया। भाइयों ने अपनी बहन को उपहार या दक्षिणा भी दिए। इसके पूर्व बहनों ने पीढ़ी पर चावल के घोल से चौका लगाया। उस पर भाई को बैठाकर उसके हाथों की पूजा की। भाई ने भी अपने प्रेम व स्नेह को प्रकट करते हुए बहन को आशीर्वाद और उपहार वगैरह दिए। फिर बहनों ने भाई को अपने हाथों से भोजन कराया। पं. रवि झा ने बताया कि यह त्योहार भाई-बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। इसमें मूलत: बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। यदि बहन अपने हाथों से भाई को खिलाए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। यदि किसी की बहन न हो तो गाय व नदी आदि ध्यान कर अथवा उसके समीप बैठकर भोजन कर लेना ही शुभ माना जाता है।

बहनों ने भाई के लिए कूटा गोधन

एक दूसरे रिवाज के अनुसार, बहनों ने गोधन कूटते हुए भाई के दीर्घायु की कामना की। पूजा को लेकर हर गली मोहल्ले में गोबर की मानव सदृश आकृति बनाई गई थी। उसके बीच ईट रखे गए थे। शुभ मुहूर्त में बहनों ने गोधन कूटा। सुबह से ही जगह-जगह गोधन के गीत गूंजने लगे थे। बहनों ने गोबर की बनी मानव सदृश आकृति की छाती पर ईट रखकर मूसल चलाया। जीभ में कांटे भी चुभोए। पूजा के बाद घर लौटने पर भाई को बजरी खिलाई।

बाबा गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक ने बताया कि भगवान भाष्कर की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना को यमराज से बड़ा ही स्नेह था। कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन बहन यमुना के आमंत्रण पर यमराज ने उनके घर जाने का निश्चय किया। यमराज ने सोचा कि उन्हें कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से उन्हें बुला रही है, उसका पालन करना उनका धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक में रहने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई को अपने घर आया देख यमुना की खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने स्नान व पूजन के बाद विविध व्यंजन परोसकर भाई को भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मागने को कहा। यमुना ने कहा कि वे प्रति वर्ष इस दिन उनके घर आया करें। इस दिन जो भी बहन यमुना की तरह अपने भाई का आदर-सत्कार कर उसे टीका करे, उसे यम का भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर बहन को उपहार देकर यमलोक की राह पकड़ी। इसी दिन से पर्व की परंपरा बनी। इसीलिए भैया दूज को यमराज व यमुना का पूजन किया जाता है।

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