George Fernandes Death Anniversary: मुजफ्फरपुर में जॉर्ज ने कांग्रेस की जो नींव ह‍िलाई तो दोबार जम नहीं सकी

George Fernandes Death Anniversary George Fernandes Death Anniversary इमरजेंसी के बाद जॉर्ज फर्नांडिस ने मुजफ्फरपुर को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाई थी। उनका जीवन सादगी व राजनीति के प्रति समर्पित रहा।1977 में जॉर्ज फर्नांडिस ने जनता पार्टी के टिकट पर हासिल की थी जीत।

By Murari KumarEdited By: Publish:Fri, 29 Jan 2021 07:42 AM (IST) Updated:Sat, 30 Jan 2021 12:02 PM (IST)
George Fernandes Death Anniversary: मुजफ्फरपुर में जॉर्ज ने कांग्रेस की जो नींव ह‍िलाई तो दोबार जम नहीं सकी
जॉर्ज फर्नांडिस की फाइल फोटो (जागरण आर्काइव)

मुजफ्फरपुर, अमरेंद्र तिवारी। इमरजेंसी के बाद जॉर्ज फर्नांडिस ने मुजफ्फरपुर को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाई थी। उनका जीवन सादगी व राजनीति के प्रति समर्पित रहा। समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस के करीबी रहे बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य डॉ. हरेंद्र कुमार कहते हैं कि इमरजेंसी के बाद जॉर्ज साहब यहां चुनाव लड़े और उस समय जो कांग्रेस की जमीन खिसकी अभी तक पांव नहीं जमा पाई। जॉर्ज के बाद गैर कांग्रेसवाद का परचम अब तक लहरा रहा है। इनके बाद कैप्‍टन जयनारायण न‍िषाद और फ‍िर व‍िगत दो बार से उनके पुत्र अजय न‍िषाद भाजपा से सांसद हैं। लगातार लोकसभा में गैर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार गए। इस बार विधानसभा चुनाव में शहर से विधायक विजेंद्र चौधरी जीते, लेकिन वह मूलरूप से कांग्रेस परिवार से नहीं हैं। डॉ. कुमार कहते हैं कि लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो यहां 1957 में पीएसपी के अशोक रंजीतराम मेहता चुनाव जीते थे। 1967 में डीएन सिंह, 1971 में नवल किशोर सिन्हा और 1984 में एलपी शाही कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने। इमरजेंसी के बाद पहली बार 1977 में जॉर्ज फर्नांडिस ने जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी। उसके बाद 1980, 1989, 1991 व 2004 में चुनाव लड़े और सांसद बने। 

यहां नहीं था घर फिर भी जीतते रहे बार-बार 

जदयू प्रदेश सलाहकार समिति के सदस्य प्रो.शब्बीर अहमद कहते हंै कि जॉर्ज का यहां पर घर नहीं था, लेकिन लगातार चुनाव जीतते रहे। 1977 में  जब जॉर्ज फर्नांडिस जेल में रहते चुनाव लड़ रहे थे। हाथ उठाए हथकड़ी वाला उनका कटआउट चुनाव प्रचार का बैनर-पोस्टर था। उनकी पत्नी लैला कबीर और सुषमा स्वराज स्टार प्रचारक थीं। तब एक अलग ही दौर था। छात्र, प्रोफेसर, महिलाएं सभी प्रचार अभियान में जुटे रहे। मानों खुद चुनाव लड़ रहे हों। हर उम्र के लोग उनके लिए प्रचार करते और चंदा जुटाते। कमलू बाबू का घर चुनावी कैंप बनता। वहीं चुनावी मंत्रणा होती। बाद के चुनावों में भी यही सिलसिला रहा। जब चुनाव लड़े तो हर बार चुनाव में कल्याणी चौक पर जॉर्ज साहब की अंतिम सभा होती। इसकी सूचना मिलने पर जनसैलाब उमड़ता। छत पर लोग खड़े होकर उनके काफिले का इंतजार करते। इस दौरान रोड शो भी होता। लोग उनपर फूलों की बारिश करते। चुनाव जीतने के बाद कभी रिजल्ट लेने या अभिनंदन कराने नहीं आते थे। कोई विजय जुलूस नहीं निकलता था। 

यहां उनका योगदान

जिले में कांटी थर्मल पावर, आइडीपीएल, बेला औद्योगिक क्षेत्र, दूरदर्शन, बगहा-छतौनी रेलपुल उनके प्रमुख योगदान हैं।  

जीवन परिचय 

जॉर्ज फर्नांडिस का जन्म 3 जून 1930 को मंगलोर के मैंग्लोरिन-कैथोलिक परिवार में जॉन जोसेफ फर्नांडिस के घर हुआ था। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मंगलौर के स्कूल से पूरी की। उनका 29 जनवरी 2019 को निधन हो गया था। 1961 और 1968 में मुंबई सिविक का चुनाव जीतकर जॉर्ज बॉम्बे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के सदस्य बन गए। 1967 के लोकसभा चुनाव में वह संयुक्त सोशियल पार्टी की ओर से मुंबई साउथ की सीट से जीते। 1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। इस समय विरोध करने पर 10 जून 1976 को जॉर्ज कोलकाता से गिरफ्तार किया गया। 21 मार्च 1977 को आपातकाल खत्म हुआ और इंदिरा गांधी सहित कांग्रेस पार्टी चुनाव में हार गई। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी ने चुनाव जीता। जॉर्ज फर्नांडिस भी जेल में रहते हुए बिहार के मुजफ्फरपुर से चुनाव जीत गए। 

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