परदेस से अच्छा अपना गांव, मिलता है परिवार की छांव

मुजफ्फरपुर परदेस से अच्छा अपना गांव है जहां कम से कम दो जून की रोटी के साथ परिवार की छाव भी मिल जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 May 2020 01:47 AM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 01:47 AM (IST)
परदेस से अच्छा अपना गांव, मिलता है परिवार की छांव
परदेस से अच्छा अपना गांव, मिलता है परिवार की छांव

मुजफ्फरपुर : परदेस से अच्छा अपना गांव है जहां कम से कम दो जून की रोटी के साथ परिवार की छाव भी मिल जाती है। अब रोजी-रोटी के लिए बाहर नहीं जाएंगे। यहीं रहकर इज्जत की रोटी कमाएंगे। किसी के खेत में काम कर रोटी का इंतजाम कर लेंगे लेकिन अब किसी भी हालत में परदेस नहीं जाएंगे। इज्जत के साथ जो भी मिलेगा, उससे ही परिवार की परवरिश कर लेंगे। यह कहानी है पारू प्रखंड के सोहांसी गांव के प्रवासियों की,े जो जान बचाकर गांव लौटे है। गांव के अरविंद कुमार महाराष्ट्र में मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण सालों से कर रहे थे। लेकिन कोरोना के कारण लॉकडाउन होते ही उनका सबकुछ छिन गया। किसी तरह ठेला चलाकर गाव पहुंच गए। यहां आने के बाद उन्हें पंचायत के क्वारंटाइन सेंटर पर रहना पड़ा। अब खेतों में मजदूरी कर परिवार की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं। बुधवार को खेतों में काम करने के बाद थकान मिटाने को एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे अरविंद और उनके साथ बैठे देवरिया बनिया टोला के वशिष्ठ चौधरी कहते हैं कि मुंबई से किसी तरह गाव आ गए, काफी सकून मिल रहा है। अब हमने ठान लिया है कि अब बाहर नहीं जाएंगे और गाव में ही व्यवसाय कर अपनी परिवार की परवरिश करेंगे।

काम के साथ मिल रहा है सम्मान

हरेंद्र साह ने कहा कि गाव बहुत अच्छा है, यहा काम मिलता है, मजदूरी भी मिलती है और सम्मान भी। पहले से बहुत बहुत बदल गया है। अब यहां भी रोजगार मिल रहा है। नंद कुमार साह कहते हैं कि गाव में सरकार रोजगार देने को कह रही है। मनरेगा योजना से काम देने की घोषणा की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार मुफ्त में अनाज दे रही है। अब तो शहर से अच्छी जिंदगी गाव में रहने वालों की गुजर रही है। धूमनगर गाव के राजा बाबू कहते हैं कि परदेस जाने वाले मजदूर बहुत मजबूर रहते हैं क्योंकि मेहनत के हिसाब से मजदूरी नहीं मिलती है ,जबकि गाव में मेहनत के आधार पर मजदूरी मिल रही है। मेरे परिवार के लोग भी अब बाहर काम करने नहीं जाएंगे। कोरोना ने यह अहसास करा दिया है कि गाव से बेहतर परदेस नहीं होता। गाव में रोजगार और मजदूरी दोनों संभव है। इसलिए अब यहीं रहकर परिवार की गाड़ी चलाएंगे।

अरविंद कुमार कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में हमें कई दिनों तक भूखे रहना पड़ा। इसे हम हमेशा याद रखेंगे। सरकार गाव में काम दे रही है, ऐसे में बाहर जाने से कहीं बेहतर होगा। परिवार के दुख-सुख में शामिल रहने का मौका मिलेगा।

अविनाश कुमार

मनियारी--- कुढनी प्रखंड के बसौली पंचायत के बढई मिस्त्री ग़रीब नाथ शर्मा के पुत्र ?तिक राज ने मैट्रिक मे 427 अंक के साथ बेहतर प्रर्दशन किया। वे आगें इंजीनियरिंग की पढाई करना चाहते हैं।

सरैया मुज संस अंबडेकर आवासीय विद्यालय पोखरैरा के छात्रों ने भी मैट्रिक की परीक्षा में बाजी भारी है। कुल 27 छात्र शामिल हुए थे उसमें प्रथम श्रेणी से 8 दृतिय श्रेणी से 11 व अन्य तृतीय श्रेणी पास की है। जहा विधालय में शिक्षक व छात्रों के बीच खुशी की लहर है।

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