यहां के DM कोरोना मरीजों की आह-कराह सुनते ही बन जाते चिकित्सक, करते संक्रमितों की सेवा

दरभंगा के जिलाधिकारी कहते हैं कि एक चिकित्सक को संवेदनशील होना चाहिए। -कोरोना मरीजों के वार्ड का करते निरीक्षण समय पर दवा उपलब्ध कराने के लिए कवायद।

By Murari KumarEdited By: Publish:Fri, 14 Aug 2020 02:04 PM (IST) Updated:Fri, 14 Aug 2020 02:04 PM (IST)
यहां के DM कोरोना मरीजों की आह-कराह सुनते ही बन जाते चिकित्सक, करते संक्रमितों की सेवा
यहां के DM कोरोना मरीजों की आह-कराह सुनते ही बन जाते चिकित्सक, करते संक्रमितों की सेवा

दरभंगा [संजय कुमार उपाध्याय]। ऐसे तो इस काम के बदले इन्हें कोई मेवा नहीं मिलता, फिर भी ये करते कोरोना संक्रमितों की सेवा। व्यस्तताओं के बाद भी समय निकालते हैं। यहां के डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम की यह कहानी प्रेरणा देती है। मानवता की सेवा के प्रति लगाव की वजह से ही इन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की, फिर आगे के पथ की ओर अग्रसर हुए। वर्तमान संकट कोरोना का है। ऐसे में चिकित्सक के रूप में इनकी भूमिका सराहनीय है। 

 कोरोना संक्रमण चरम पर है। ऐसे में ये एक चिकित्सक के तौर पर लोगों को सलाह देते हैं। दवा की व्यवस्था कराते हैं। दरभंगा के 144 वें डीएम के रूप में फरवरी 2019 से सेवा दे रहे हैं। जब भी कोई आपदा आती, इनका उद्देश्य पीडि़त मानवता की सेवा होता है। 

 तमिलनाडु स्थित कोयंबटूर निवासी टेक्सटाइल इंजीनियर मोहन और घरेलू महिला उमा देवी के पुत्र त्यागराजन ने अपनी मंजिल को पाने के लिए तमाम गैर-जरूरी इच्छाओं का दमन किया। कोयंबटूर मेडिकल कॉलेज से 2002-2008 बैच में एमबीबीएस किया। 2010 में पहली बार संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुने गए। उड़ीसा रामगढ़ा में बतौर एएसपी अपनी सेवा दी। पढ़ाई जारी रखते हुए 2011 में दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी, फिर आइएएस बने और बिहार कैडर मिला। यहां के कई जिलों में विभिन्न पदों पर काम करते हुए दरभंगा की कमान संभाली। इस बार बाढ़ और कोरोना जैसी आपदा से सामना हुआ। फिर क्या, इनके अंदर का चिकित्सक लोगों की सेवा में लगा है। 

चिकित्सक बनने का मतलब सिर्फ पेशा नहीं

कहते हैं कि डॉक्टर का दायित्व है कि वह संवेदनशील हो। मैं संवेदनशील रहता हूं। चिकित्सक होने के नाते चीजों को वैज्ञानिक तरीके से देखता हूं। कोरोना व बाढ़ के वक्त लोगों को जागरूक करना और आइसोलेशन में रह रहे लोगों से संवाद करता हूं। उनतक सरकारी स्तर पर दवा पहुंचाने की कवायद करता हूं। जिलाधिकारी कहते हैं कि जब भी वे कोरोना मरीजों के वार्ड का निरीक्षण करते हैं तो पत्नी व परिवार से दूरी बनाकर रखते हैं। 

 दरभंगा प्रमंडल आयुक्त मयंक बड़बड़े ने कहा कि डॉ. त्यागराजन एसएम कुशल प्रशासक के साथ-साथ एक चिकित्सक भी हैं। यह जिले के लिए काफी मायने रखता है। कोरोना व बाढ़ जैसी आपदा के वक्त उनके चिकित्सक होने का लाभ लोगों को मिला है।  

 दरभंगा के प्रमंडलीय उद्योग व वाणिज्य परिषद एक अध्यक्ष पवन सुरेका ने कहा कि जिलाधिकारी ने कोरोना काल ही नहीं हर वक्त एक संवेदनशील चिकित्सक के तौर पर भी लोगों की सेवा की है। उनके चिकित्सक होने का लाभ हम सभी को मिला है।

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