मनोज वाजपेयी को पद्मश्री मिलने से गदगद हुआ चंपारण, उनके पिता ने ऐसे प्रकट की खुशी

पश्चिम चंपारण के गौनाहा प्रखंड अंतर्गत बेलवा गांव में जश्न का माहौल। मिठाइयां बांटने के साथ लोग उनके संघर्ष को कर रहे याद।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 27 Jan 2019 09:40 PM (IST) Updated:Sun, 27 Jan 2019 09:40 PM (IST)
मनोज वाजपेयी को पद्मश्री मिलने से गदगद हुआ चंपारण, उनके पिता ने ऐसे प्रकट की खुशी
मनोज वाजपेयी को पद्मश्री मिलने से गदगद हुआ चंपारण, उनके पिता ने ऐसे प्रकट की खुशी

पश्चिम चंपारण, जेएनएन । हिंदी सिनेमा जगत के जाने-माने अभिनेता मनोज वाजपेयी को पद्मश्री से नवाजे जाने की घोषणा की गई है। चंपारण के लाल को पद्मश्री के लिए चुने जाने की घोषणा से क्षेत्र के लोग गदगद हैं। पश्चिम चंपारण के गौनाहा प्रखंड अंतर्गत छोटे से गांव बेलवा में तो जश्न का माहौल है। यहां मिठाइयां बंट रही हैं।

 मनोज वाजपेयी के 81 वर्षीय पिता राधा वाजपेयी बताते हैं कि ‘अक्स’ फिल्म के सेट पर उनके पुत्र ने उन्हें अमिताभ बच्चन से मिलवाया था। महानायक ने उस समय पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। इसे याद कर वे भावुक हो गए। कहा, बेटा के कारण ही यह सम्मान मिला है। मनोज को मिले सम्मान के बारे में कहा कि ऐसा स्टारडम सेवाभावी पुत्र हर घर में पैदा होना चाहिए ।

बिहारी माटी के रतन मनोज वाजपेयी ने भारतीय हिन्दी फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है। सतत प्रयोग में विश्वास रखने वाले अभिनेता के तौर पर भी उन्हें जाना जाता है। इसके लिए उन्हें पहले भी कई फिल्मफेयर पुरस्कार और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं। 1998 में रिलीज हुई फिल्म ‘सत्या’ के बाद मनोज ने कभी वापस मुड़कर नहीं देखा।

 उनके द्वारा निभाए गए भीखू म्हात्रे के किरदार के लिए उन्हे कई पुरस्कार मिले। इसके लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) भी दिया गया । 1999 में आई फिल्म शूल में उनके किरदार समर प्रताप सिंह के लिए उन्हें फिल्मफेयर का सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार मिला। अमृता प्रीतम के मशहूर उपन्यास पिंजर पर आधारित फिल्म के लिए उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

 चंपारण के गौनाहा प्रखंड के छोटे से गांव बेलवा में जन्मे बाजपेयी ने अपनी स्कूली पढ़ाई केआर हाई स्कूल, बेतिया से की थी। इसके बाद वे दिल्ली के सत्यवती कॉलेज गए। चार बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से खारिज कर दिए जाने के बाद उन्होंने बैरी ड्रामा स्कूल से बैरी जॉन के साथ थियेटर किया। मनोज ने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन से की थी।

 उनके फिल्मी करियर की शुरुआत 'द्रोहकाल से हुई थी । उन्होंने अपना फिल्मी करियर 1994 में शेखर कपूर निर्देशित फिल्म बैंडिट क्वीन से शुरु किया था। रविवार को अनुसूचित जनजाति भाजपा प्रदेश महामंत्री निरंजन पंजियार के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनोज बाजपेयी के घर पहुंचकर फूल माला व अंगवस्त्र से सम्मानित कर लड्डू से मुंह मीठा कराया।

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