BIHAR POLITICS: मुजफ्फरपुर में लिखी गई थी सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में बदलाव की पटकथा!

जदयू के पूर्व मुजफ्फरपुर जिला अध्यक्ष रंजीत साहनी का दावा विधानसभा चुनाव के अनुभव के आधार पर समता पार्टी काल से जुड़े कार्यकर्ताओं को लेकर चिंतन शिविर का आयोजन किया था। इसकी रिपोर्ट मुख्यमंत्री वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष व संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को सौंपी थी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 07:17 AM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 07:17 AM (IST)
BIHAR POLITICS: मुजफ्फरपुर में लिखी गई थी सीएम नीतीश कुमार की पार्टी में बदलाव की पटकथा!
कहा, अब चमचम कल्चर से मुक्त हो जाएगा जदयू। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने हाल में पार्टी के अंदर बड़े बदलाव की घोषणा की है। इसके तहत उन्होंने न केवल सभी प्रकोष्ठों को भंग कर दिया है वरन लोकसभा व विधानसभा प्रभारियों को भी पदमुक्त कर दिया है। इसे विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक का सबसे बड़ा फैसला कहा जा रहा है। जदयू के पूर्व मुजफ्फरपुर जिला अध्यक्ष व वर्तमान में दरभंगा के संगठन प्रभारी रंजीत साहनी का दावा है कि इसकी पूरी पटकथा मुजफ्फरपुर में लिखी गई थी। कहा, अब पार्टी का संगठन आरसीपी सिंह के साए से दूर हुआ है। चमचम कल्चर का अंत होगा, काम करनेवालों को मौका मिलेगा। 

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चमचम कल्चर समाप्त हुआ

रंजीत सहनी ने कहा, स्थिति यह थी कि चमचमाती गाड़ी लेकर आए और प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व अन्य पद धारक बन गए। तीर छाप का झंडा लगाया और हो गए नेताजी। न पार्टी के बारे में समझ और न ही कार्यकर्ताओं को जोड़ने की क्षमता। इस हालत में जनाधार घटना स्वाभाविक ही था। इस बदलाव के बाद छात्र जीवन से समता पार्टी की राजनीति करने वाले जदयू के सिपाही के कंधों पर बड़ी जवाबदेही दी जाएगी। कहा, जदयू के प्रकोष्ठ भंग होना एक तरह से आरसीपी सिंह के साए से संगठन का दूर होना है। पार्टी के अंदर से चमचम कल्चर समाप्त हुआ है।

जदयू चिंतन शिविर का आयोजन

वर्तमान में हुए बदलाव के पीछे की कहानी के बारे में उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव के अनुभव के आधार पर हमलोगों ने मुजफ्फरपुर में समता पार्टी काल से जुड़े पुराने कार्यकर्ताओं को लेकर जदयू चिंतन शिविर का आयोजन किया था। इसकी रिपोर्ट से मुख्यमंत्री व तत्कालीन जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को अवगत कराया। ‌बाद के दिनों में सांसद राजीव कुमार उर्फ ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उनके पास भी यह बात पहुंचाई गई। जब संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बिहार यात्रा के क्रम में मुजफ्फरपुर आए तो उन्हें भी सभी बिंदुओं से अवगत कराया गया। कुशवाहा स्वयं पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इसको नजदीक से देखा। इसके बाद से ही बदलाव की संभावना थी और वही हुआ। सहनी ने कहा कि जितने प्रकोष्ठ बनाए गए थे, अगर उन्होंने ईमानदारी से काम किया होता तो विधानसभा चुनाव में पराजय का मुंह नहीं देखना पड़ता।

प्रकोष्ठ भंग करने का कदम स्वागत योग्य

कांटी प्रखंड के पूर्व अध्यक्ष सौरव कुमार साहब ने कहा कि संगठन को मजबूत करने व संगठन के अंदर पुराने साथियों को तरजीह देने के लिए चिंतन शिविर के बाद लगातार पहल हो रही थी। अब उम्मीद है कि जदयू में पुराने साथियों को जगह मिलेगी। प्रकोष्ठ भंग करने का कदम स्वागत योग्य है। कहा कि पहले ही उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलकर कहा था कि जब कलमजीवी प्रकोष्ठ है तो बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की क्या प्रासंगिकता? व्यवसाय प्रकोष्ठ और ट्रेडर्स प्रकोष्ठ में क्या अंतर है? इस तरह के प्रकोष्ठों से बेवजह के लोगों का जमावड़ा हुआ है, लेकिन किसी काम के ये नहीं हैं। देर ही सही, संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं। इसका बेहतर परिणाम अवश्य देखने को मिलेगा।  

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