यूपी का वांटेड बिहार में आकर बन गया माननीय, पूर्व मंत्री-विधायक की हत्या से भी जुड़ा कनेक्शन

Bihar Crime देवेंद्र दुबे हत्याकांड के मुख्य आरोपित लालू प्रसाद यादव के करीबी पूर्व मंत्री ब्रजबिहारी की 1998 में हत्या के बाद चर्चा में आए थे राजन तिवारी। बाहुबली राजन ने 2000 से गोविंदगंज से शुरू की थी राजनीति। जेल में रहकर विधानसभा चुनाव में दर्ज की थी जीत।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 19 Aug 2022 09:17 AM (IST) Updated:Fri, 19 Aug 2022 10:57 AM (IST)
यूपी का वांटेड बिहार में आकर बन गया माननीय, पूर्व मंत्री-विधायक की हत्या से भी जुड़ा कनेक्शन
सीपीएम के विधायक अजीत सरकार की हत्या में भी राजन तिवार का नाम उछला। फोटो: जागरण

मोतिहारी (पूर्वी चंपारण), संवाद सहयोगी : बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी यूपी से यहां आने के बाद लंबे समय तक उस वक्त के बाहुबली देवेंद्र नाथ दुबे के साथ काम किया। आगे चलकर जब देवेंद्र की हत्या हो गई, तब राजन ने राजनीति में कदम रखा। उनके भाई भी विधायक रह चुके हैं। उनकी माता शांति तिवारी अरेराज प्रखंड की चौथी बार प्रखंड प्रमुख की कुर्सी पर काबिज हैं।

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 ननिहाल में रहने लगे राजन तिवारी

राजन तिवारी वर्ष 1995 में उत्तर प्रदेश से बिहार अपने ननिहाल अरेराज प्रखंड क्षेत्र की ममरखा भैया टोला पंचायत के खजुरिया गांव आए। साथ ही बीच-बीच में अपने पैतृक गांव आते-जाते रहते थे। गोविंदगंज के विधायक देवेंद्र दुबे की 1998 में हत्या के बाद इसमें आरोपित बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री व लालू प्रसाद के करीबी ब्रजबिहारी की भी उसी वर्ष हत्या हुई थी। इसके बाद सीपीएम के विधायक अजीत सरकार की हत्या हुई। दोनों में राजन तिवारी का नाम सामने आया था। इसके बाद बिहार की राजनीति में कदम रखा।

जेल में बंद रहते जीत हासिल की

उन्होंने वर्ष 2000 में गोविंदगंज सीट से निर्दलीय विधानसभा का चुनाव जीता था। चुनाव के दौरान जेल में बंद थे। जेल में बंद रहते उन्होंने बाहुबली देवेंद्र नाथ दुबे के बड़े भाई भूपेंद्र दुबे को पराजित कर जीत हासिल की। वहीं पूर्व विधायक के बड़े भाई राजू तिवारी वर्ष 2015 में एनडीए के समर्थन से लोजपा से गोविंदगंज विधानसभा का चुनाव जीते थे। 2020 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील मणि तिवारी से चुनाव हार गए। फिलहाल लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हैं। साथ ही बाहुबली पूर्व विधायक 2004 में बेतिया लोकसभा क्षेत्र से रघुनाथ झा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद 2022 में यूपी के चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिला। वे भाजपा और सपा से चुनाव लडऩे की तैयारी में थे। फिलहाल वे उत्तर प्रदेश तथा बेतिया और बगहा से भी चुनाव लडऩे की तैयारी में थे। 2014 में राजन तिवारी राजद में शामिल हुए। टिकट नहीं मिलने के बाद 2019 में लखनऊ में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

राजन तिवारी का आपराधिक इतिहास

राजन तिवारी पर बिहार तथा उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तीन दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं। राजन तिवारी ने 2004 में बेतिया के प्रसिद्ध व्यवसायी रमेश तोदी का अपहरण कर फिरौती वसूली थी। एनटीपीसी के अभियंता लोहिया का 2005 में राजन तिवारी ने पटना जेल में रहते हुए अपहरण कराया था। इसमें सात करोड़ की फिरौती वसूली गई थी। 2004 में मोतिहारी नगर थाना क्षेत्र के रेलवे गुमटी के पास से प्रतापगढ़ चीनी मिल के डायरेक्टर प्रभात लोहिया के साथ विश्वंभरनाथ तिवारी का भी अपहरण कर लिया था। इस मामले में विश्वंभरनाथ की हत्या कर दी गई थी। इस अपहरण व हत्या में राजन तिवारी के साथ उनके भाई राजू तिवारी का नाम आया था।

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