शमीम हत्याकांड में अनिल ओझा व रामकुमार को आजीवन कारावास की सजा

छात्र नेता शमीम हत्‍याकांड में कुख्यात अनिल ओझा व उसके गुर्गे रामकुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों को 15-15 हजार रुपये जुर्माना भी देना होगा।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 02 May 2019 08:04 PM (IST) Updated:Thu, 02 May 2019 08:04 PM (IST)
शमीम हत्याकांड में अनिल ओझा व रामकुमार को आजीवन कारावास की सजा
शमीम हत्याकांड में अनिल ओझा व रामकुमार को आजीवन कारावास की सजा

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। छात्र नेता मो. शमीम खान हत्याकांड में दोषी कुख्यात अनिल ओझा व उसके गुर्गे रामकुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों को 15-15 हजार रुपये जुर्माना भी देना होगा। इससे पहले मामले के चार अन्य आरोपित पूर्व वार्ड पार्षद संजय पासवान, बबनदेव, रोशन कुमार व शंभू सिंह को संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने बरी कर दिया था।

मामले के सत्र- विचारण के बाद अपर जिला व सत्र न्यायाधीश नवम् वीरेंद्र कुमार ने उसे यह सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक पीके शाही ने कोर्ट के समक्ष साक्ष्य रखा। उन्होंने दोषियों को अधिक से अधिक सजा देने की प्रार्थना कोर्ट से की।

यह है मामला

घटना एक अगस्त 2013 की शाम विवि परिसर की है। बाइक से जा रहे छात्र नेता मो. शमीम खान की हत्या गोली मारकर कर दी गई। शमीम के पिता के बयान पर विवि थाना में केस दर्ज किया गया था। इसमें अनिल ओझा के फरार रहते ही पुलिस ने उसके खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था।

कड़ी सुरक्षा में शमीम की पत्नी व बहन की हुई थी गवाही

अनिल ओझा पर गवाहों को धमकी देने का आरोप लगा था। भय से पहला गवाह कोर्ट में मुकर गया था। शमीम की पत्नी तब्बसुम परवीन व बहन तराना खानम ने एसएसपी को पत्र लिखकर गवाही को लेकर सुरक्षा मुहैया कराने की प्रार्थना की थी। एसएसपी ने दोनों को एसटीएफ की सुरक्षा दी। तब जाकर दोनों की गवाही हुई।

बचाव में अनिल ओझा ने कोर्ट में की बहस

सजा की बिंदु की सुनवाई के समक्ष अनिल ओझा के अधिवक्ता कोर्ट में अनुपस्थित थे। कोर्ट के आदेश पर उसने अपने बचाव में स्वयं बहस की। उसने कहा कि कोर्ट से आज जो भी सजा मिलेगी, वह उसे मंजूर है। उसने दावा किया कि साजिश के तहत उसे फंसाया गया। वह अपराधी नहीं है।  

chat bot
आपका साथी