पगडंडियों के सहारे बस्तियां

मुजफ्फरपुर। पारू प्रखंड की सरैया पंचायत के विकास में आपसी वर्चस्व हावी रहा। हालांकि, कई सड़कों का पीस

By Edited By: Publish:Fri, 05 Feb 2016 01:44 AM (IST) Updated:Fri, 05 Feb 2016 01:44 AM (IST)
पगडंडियों के सहारे बस्तियां

मुजफ्फरपुर। पारू प्रखंड की सरैया पंचायत के विकास में आपसी वर्चस्व हावी रहा। हालांकि, कई सड़कों का पीसीसी कराया गया, मनरेगा के तहत लगा गए कुछ पौधों को हरा-भरा देखा जा सकता है। बड़ी संख्या में सामाजिक सुरक्षा पेंशन की स्वीकृति कराई गई, लेकिन आज भी सैकड़ों बेसहारे पेंशन से वंचित हैं। राशन कार्ड की समस्या से लोग आक्रोशित है। आठ वैसी बस्तियां हैं जहां पहुंचने को पगडंडियों का ही सहारा है। सिंचाई के साधन नहीं होने से किसानी पर खतरा उत्पन्न हो गया है। दर्जनों गरीब परिवारों के समक्ष पानी की समस्या है। इंदिरा आवास योजना से कितने गरीब परिवार आज भी वंचित हैं। कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन गरीबों तक नहीं पहुंच पाता जिन्हें उसकी जरुरत है। मनरेगा मजदूरों को तयशुदा मजदूरी नहीं देने की शिकायत आम है। पांच वर्ष पूर्व से आज तक कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिलता।

बोले युवा

सरैया गांव के आमोद कुमार का कहना है कि मुखिया ने विकास के नाम पर अपना विकास करने में अधिक रुचि दिखाई है।मजदूरों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिले, जेसीबी से काम कराकर मजदूरों के हक की हकमारी की गई है।

देवेंद कुमार शर्मा का कहना है कि मुखिया द्वारा कराए गए कार्यो मे गुणवत्ता का अभाव रहा है। आमलोगों को मान सम्मान भी नहीं दिया जाता। काम कम और हवा ज्यादा उड़ाई जाती है। मुखिया के कार्यो से पंचायत के लोगों मे काफी निराशा है।

मो. जमील सरैया बाजार का कहना है कि मुखिया द्वारा विकास कार्य के नाम पर ढोल पीटा जा रहा है। पंचायत के लोग आज पेंशन और इंदिरा आवास के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाकर थक चुके हैं।

सुलेमान मियां ब्रहमपुरा का कहना है कि गरीब चापाकल को तरस रहे हैं। संपन्न परिवारों को चापाकल दिया गया है। कई सड़कें ऐसी हैं जिन पर आजादी के बाद से आज तक ईंट सोलिंग तक नहीं कराई गई।

मो. नौशाद का कहना है कि पंचायत के लोगों ने काफी उम्मीद के साथ उन्हें मुखिया बनाया, लेकिन जनता के बीच किए गए वादों पर खरे नहीं उतरे। वृद्ध पुरुष-महिलाएं आज पेंशन को तरस रहे हैं।

मो. कासीम ने कहा कि मुखिया ने जनकल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण काम किया है। पूर्व के मुखियों की तुलना में इन्होंने सर्वाधिक कार्य किया।

ग्रामीण कहते हैं-

सुरेंद्र सिंह चैनपुरा ने बताया कि पांच साल पहले और आज में विकास का दौर तेज हुआ है। मुखिया द्वारा ऐसा भी कार्य कराया गया है जो पूर्व में उपेक्षित कर दिया गया था।

जामोद सिंह सरैया बाजार कहते हैं कि मुखिया द्वारा मान सम्मान दिया जाता रहा है। कोई भी व्यक्ति किसी काम से जाते हैं तो अविलंब कार्यो का निष्पादन करते हैं।

शिवनंदन राम सरैया का कहना है कि जिस वायदे पर मुखिया चुनाव लड़ कर मुखिया बने उस वायदे को पूरा किया है।गरीब गुरबों को आर्थिक सहयोग भी करते रहे हैं।

छठू राय चांदपुरा कहते हैं कि जब भी किसी काम से गए उन्होंने तुरंत कर दिया। नही होने वाले कार्य कैसे होंगे उसके रास्ते दिखाते हैं। नहीं होने पर स्वयं काम करा लाते हैं।

बोले मुखिया

हमने पंचायत को विकास के पहले पायदान पर खड़ा कर दिया है। चार सड़कों का पीसीसी कराया है। सात आरसीसी पुलिया बनवाए, मनरेगा योजना के तहत दस हजार पौधे लगवाए जो आज हरे-भरे हैं। पंचायत की 32 सड़कों पर मिट्टी भरवाई। 250 गरीब परिवारों के दरवाजों पर सार्वजनिक चापाकल गड़वाए।1765 को सामाजिक सुरक्षा पेंशन व 600 परिवारों को इंदिरा आवास योजना का लाभ दिया। एक कब्रिस्तान की घेराबंदी करवाई।

असगर अली

मुखिया, सरैया।

पूर्व का आधार

पंचायत में ईमानदारी के साथ आम लोगों की समस्याओं का निदान करने तथा सरकारी पैसे को पंचायत के आम लोगों के फायदे में खर्च करने के मुददे पर वोट मांगे।

इस बार का आधार

इस बार के पंचायत चुनाव में किसानों की समस्याओं को मुददा बनाएंगे, उनकी बुनियादी समस्याओं का निदान कराऊंगा, पंचायत के सभी घरों मे शौचालय निर्माण कराने का प्रयास मुददा होगा।

सरैया पंचायत एक नजर

आबादी-13400

मतदाताओं की संख्या-7343

सरकारी नौकरी -150

शिक्षित बेरोजगार-2000

मजदूरों की संख्या-500।

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