कथा स्थल पर बिन बुलाए पहुंचते हैं देवी-देवताएं

जासं, मुजफ्फरपुर : श्रीमद्भागवत कोई ग्रंथ या पुस्तक नहीं, बल्कि साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय

By Edited By: Publish:Sun, 26 Apr 2015 09:20 PM (IST) Updated:Sun, 26 Apr 2015 09:20 PM (IST)
कथा स्थल पर बिन बुलाए पहुंचते हैं देवी-देवताएं

जासं, मुजफ्फरपुर : श्रीमद्भागवत कोई ग्रंथ या पुस्तक नहीं, बल्कि साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। जहां भागवत की कथा होती है, वहां बिन बुलाए ही 33 करोड़ देवी-देवता पहुंच जाते हैं। वह धरती धन्य हो जाती है। ये बातें अहियापुर के सहबाजपुर स्थित रूसुलपुर सालिम में रविवार को शुरू संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन कथा वाचक आचार्य वेदानंद शास्त्री आनंद ने कहीं। वे कथा के महात्म्य की चर्चा कर रहे थे। कहा कि जब जन्म-जन्मांतर का पुण्य जमा होता है, भगवान की कृपा होती है तो भागवत रूपी प्रसाद मिलता है।

मानव तन बड़ा दुर्लभ

उन्होंने कहा कि मनुष्य का शरीर, भगवान की कथा और मोक्ष प्राप्ति, ये तीन बड़े ही दुर्लभ हैं। मनुष्य योनि को 84 लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। जब मानव तन व भगवान की कथा मिल जाए, हमारे जीवन में भक्ति आ जाए तो मोक्ष की प्राप्ति स्वत: हो जाती है। प्रत्येक मनुष्य मोक्ष के द्वार पर है। यदि भागवत कथा मिल जाए तो वह आगे बढ़ जाता है।

कई पीढि़यों का उद्धार करती कथा

श्रीमद्भागवत कथा सुनने से श्रोता के कुल-खानदान के साथ-साथ कई पीढि़यों का भी उद्धार हो जाता है। पापी से पापी व्यक्ति भी यदि इसकी शरण में आ जाए तो उसका कल्याण हो जाता है। आचार्य श्री ने गोकर्ण-आत्मदेव सहित विविध प्रसंगों की विशद चर्चा की।

गाजे-बाजे के साथ

निकली कलश-यात्रा

इसके पूर्व सुबह गाजे-बाजे के साथ कलश-यात्रा निकली। मेडिकल परिसर स्थित श्री कृष्ण योगाश्रम में भागवत-पूजन व कलश-पूजन के साथ शोभा-यात्रा निकली। इसमें आगे-आगे माथे पर भागवत जी को लिए मुख्य यजमान उमेश ठाकुर चल रहे थे। पीछे-पीछे कलश लिए 151 कुंवारी कन्याएं व महिलाएं चल रही थीं। विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए लोग कथा-स्थल पर पहुंचे। वहां विधिवत व्यास-पीठ के पूजन के बाद कथा शुरू हुई। इसमें राधेकृष्ण सिंह 'मुन्ना जी', सत्यानंद शास्त्री, मोतीकांत, बालाकांत, चंदन, अजय, रामानंद आदि मौजूद रहे।

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