'घर की स्थिति देख छोड़ दी पढ़ाई'

जासं, मुजफ्फरपुर : सर, मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था। मुझे पढ़ने का शौक भी था, मगर घर की स्थिति अच्छ

By Edited By: Publish:Tue, 14 Oct 2014 02:09 AM (IST) Updated:Tue, 14 Oct 2014 02:09 AM (IST)
'घर की स्थिति देख छोड़ दी पढ़ाई'

जासं, मुजफ्फरपुर : सर, मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था। मुझे पढ़ने का शौक भी था, मगर घर की स्थिति अच्छी नहीं है। इसलिए मुझे मजबूर होकर काम करने मुम्बई जाना पड़ा। महाराष्ट्र से मुक्त होकर आए बाल श्रमिक मो. मिराज ने सोमवार को गन्नीपुर स्थित उप श्रमायुक्त कार्यालय में कुछ यूं अपनी पीड़ा सुनाई। वह बरूराज थाना क्षेत्र के लक्ष्मीनीयां निवासी मो. रफीक का पुत्र है। उसने बताया कि महाराष्ट्र में बैग कारखाने में काम करता था। मुझे पांच हजार रुपये मिलते थे। काम के बाद मैं मदीना मस्जिद में रहता था। चचेरे भाई का साला मो. तबरेज मुझे अपने साथ ले गया था। वह भी उसी कारखाने में काम करता है। श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुशील कुमार के समक्ष उसके पिता ने कहा कि वे अब उसे दोबारा नहीं भेजेंगे। ज्ञात हो कि महाराष्ट्र के विभिन्न जगहों से उत्तर बिहार के 57 बाल श्रमिक मुक्त करा कर यहा लाए गए हैं। इसमें पूर्वी चंपारण के 53, सीतामढ़ी के दो और शिवहर व मुजफ्फरपुर के एक-एक मजदूर शामिल हैं।

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