मूल्यों का हो रहा क्षरण : प्रतिकुलपति

By Edited By: Publish:Sun, 01 Jun 2014 01:01 AM (IST) Updated:Sun, 01 Jun 2014 01:01 AM (IST)
मूल्यों का हो रहा क्षरण : प्रतिकुलपति

जासं, मुजफ्फरपुर : संस्कृत वाड्मय मानव समाज के सुख की कामना करता है। वर्तमान में अर्थतंत्र मूल्यों पर भारी पड़ रहा है। व्यवहार में मूल्यों का क्षरण हो रहा है। संस्कृत मूल्यों को प्रतिष्ठापित करने में उपयोगी है। ये बातें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की प्रतिकुलपति डॉ. प्रभा किरण ने बिहार विवि के संस्कृत विभाग में रिफ्रेशर कोर्स के समापन समारोह में कही।

सारस्वत अतिथि मधेपुरा विवि के पूर्व कुलपति डॉ. रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव ने महाभारत के विभिन्न प्रसंगों की चर्चा करते हुए बदलते मूल्यों पर प्रकाश डाला। अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ. पंडित पलांडे ने कहा कि संस्कृत वाड्मय अत्यंत विशाल है। यह सभी भाषाओं की जननी है। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय के वैदिक व पौराणिक मंगलाचरण से हुई। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ. इंद्रनाथ झा ने जबकि संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार ने किया। मौके पर प्रॉक्टर डॉ. अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रो. प्रमिला सिन्हा, प्रो. सदाशिव खबाड़े, प्रो. अमरनाथ झा, प्रो. केके झा, डॉ. शैलेन्द्र चौधरी, डॉ. कुणाल, डॉ. एनके चौधरी आदि उपस्थित थे।

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